पटना: बिहार मूल के सीआरपीएफ के अधिकारियों की सूबे में कहीं भी प्रतिनियुक्ति न कराने की बिहार सरकार की सिफारिश बिहारी अस्मिता पर कुठाराघात है. सरकार को इसके लिए बिहार मूल के सीआरपीएफ के अधिकारियों से क्षमा मांगनी चाहिए . सरकार अपना अनुरोध पत्र वापस ले. ये बातें भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील मोदी ने अपने सरकारी आवास पर जनता दरबार के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहीं. उपमुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्होंने पहली बार जनता दरबार का आयोजन किया. इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कि किसी एक जवान को आधार बना कर पूरे सीआरपीएफ को कटघरे में खड़ा करना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है.
उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी 19 नवंबर, 2013 को इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर बिहार पुलिस व सीआरपीएफ के बीच समन्वय के अभाव की चर्चा की थी. पश्चिम बंगाल में बिहार की बेटी के साथ बलात्कार की घटना पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि वहां की सीएम ममता बनर्जी को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार व पश्चिम बंगाल पुलिस में कोई खास अंतर नहीं है.
बिना सेक्रेटरी का हूं : उन्होंने कहा कि बिहार प्रशासनिक सेवा के किसी अधिकारी को अपना निजी सचिव बनाने को उन्होंने तीन माह पहले लिखा था. जवाब आया है कि बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी निजी सचिव नहीं होंगे. बिहार में सात लोगों को मंत्री पद का दर्जा मिला हुआ है, उन्हें इस स्तर के निजी सचिव देने में कोई एतराज नहीं किया गया, किंतु मेरे मामले में इस तरह की दलीलें दी जा रही हैं. गंठबंधन से अलग होने के बाद से मैं बिना प्राइवेट सेक्रेटरी का हूं.