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अंगरेजी को इतनी तरजीह क्यों : नीतीश

पटना: यूपीएससी परीक्षा में अंगरेजी को विशेष तरजीह दिये जाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नाराजगी जतायी है. उन्होंने कहा कि यह सोचना गलत है कि अंगरेजी के बिना हमारा काम नहीं चलेगा. मुख्यमंत्री ने भाषा को लेकर एक बार फिर नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. राज्य में पहली बार आयोजित जश्न-ए-उर्दू कार्यक्रम का उद्घाटन […]

पटना: यूपीएससी परीक्षा में अंगरेजी को विशेष तरजीह दिये जाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नाराजगी जतायी है. उन्होंने कहा कि यह सोचना गलत है कि अंगरेजी के बिना हमारा काम नहीं चलेगा. मुख्यमंत्री ने भाषा को लेकर एक बार फिर नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा.

राज्य में पहली बार आयोजित जश्न-ए-उर्दू कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि वोट मांगने वाले नेता मैथिली और अन्य स्थानीय भाषाओं का उपयोग करते हैं, लेकिन वह यह नहीं कहते कि अंगरेजी के बिना भी काम चलेगा. नरेंद्र मोदी 27 अक्तूबर को जब पटना आये थे तो उन्होंने मैथिली और दूसरी स्थानीय भाषाओं में भी भाषण दिया था. स्थानीय प्रेमचंद रंगशाला में सरकार की ओर से आयोजित दो दिवसीय इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देसी जुबां में जो ताकत है वह किसी और में नहीं हो सकती.

उर्दू शिक्षकों की होगी बहाली
मुख्यमंत्री ने कहा कि उर्दू एक जानदार व शानदार भाषा है. बिहार की दूसरी राजभाषा उर्दू को इनकलाब की भाषा बताते हुए कहा कि सरकार सभी स्कूलों में उर्दू शिक्षकों को बहाल करने जा रही है. समारोह में शिरकत करने बिहार और दूसरे प्रांतों से आये उर्दू के विद्वानों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि हम अपनी भाषा की बदौलत अधिक तरक्की कर सकते हैं. इसलिए हमें अपनी भाषा को तरजीह देनी चाहिए. अपनी भाषा की बदौलत ही चीन, जापान और जर्मनी ने दुनिया में सर्वाधिक तरक्की का रिकार्ड कायम किया है.

स्वीकार करेंगे सुझाव
जयपुर में साहित्य सम्मेलन में अंगरेजी की धूम रहने की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पटना में भी साहित्य उत्सव होने वाला है. अपने सांस्कृतिक सलाहकार पवन वर्मा से कहा कि वे इस उत्सव में सभी जुवानों की तरजीह दें . उर्दू और हिंदी को जुड़वां बहन बताते हुए उन्होंने कहा कि स्कूलों में पहले दस उर्दू छात्र पर एक एक उर्दू शिक्षक की बहाली का प्रावधान था. अब मैंने सभी स्कूलों में उर्दू शिक्षक की बहाली का निर्णय किया है. उन्होंने कहा कि उर्दू को रोजगार से जोड़ने की आवश्यकता है. जश्न ए उर्दू के मौके पर होने वाली बहस में इस मुद्दे पर विमर्श का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि आप जो सुझाव देंगे उसे हम स्वीकार करेंगे. उर्दू परामर्शदात्री समिति के चेयरमैन कलीम आजिज ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ करना चाहते हैं. हमें भरोसा है कि वे कुछ करेंगे. यह तो मैं 75 साल से चाह रहा था. सीएम के सांस्कृतिक सलाहकार पवन वर्मा ने कहा कि उर्दू को रोजगार से जोड़ना होगा.

इस मौके पर सीएम ने तीन पुस्तक गैर मुस्लिम उर्दू शोरा का कुल हिन्द मुशायरा, कौमी सेमीनार – उर्दू जुबान और कौमी यकजेहती तथा त्रैमासिक उर्दू पत्रिका भाषा संगम का लोकार्पण भी किया. समारोह में हिंदुस्तानी आबाज संस्था के रखशन्दा जलील, विधायक डा इजहार अहमद, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष नौशाद अहमद, पूर्व विधान पार्षद प्रो असलम आजाद, खुदा बख्श लाइब्रेरी के इम्तियाज अहमद, महापौर अफजल इमाम, इदारे शरिया के जनरल सेक्रेटरी हाजी शनाउल्लाह, गृह सचिव आमीर सुबहानी, सीएम के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह, कैबिनेट के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र आदि शामिल थे.

पीएम का विदाई पीसी था : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री के प्रेस कांफ्रेंस को विदाई का पीसी कहा है. जश्न ए उर्दू कार्यक्रम को संबोधित करने बाद जब उनसे प्रधानमंत्री के प्रेस कांफ्रेंस को लेकर सवाल किये गये तो मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें कहने लायक कुछ नहीं है. यह पीएम की विदाई का प्रेस कांफ्रेंस था. भाजपा के बारे में पीएम की प्रतिक्रिया संबंधी प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि यह उनका मामला है, लेकिन वे देश की हालात के बारे में कुछ नहीं बोले. उन्हें महंगाई और आर्थिक सुधार पर बोलना चाहिए था. कुमार ने कहा कि पीएम के पीसी में कुछ विशेष नहीं था.

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