लंदन: भारतीय मूल की प्रख्यात शिक्षाविद को ब्रिटेन के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इसके साथ ही वह 83 साल की उम्र में अपने समुदाय से यह सम्मान प्राप्त करने वाली प्रथम व्यक्ति बन गई हैं. उनका जन्म बिहार के सीतामढ़ी जिले में हुआ था. महारानी के सालाना नववर्ष सम्मान की सूची में आशा खेमका को डेम कमांडर ऑफ द आर्ड ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर से सम्मानित किया गया है. यह सूची आज जारी की गई, जिसमें 15 लोग भारतीय मूल के हैं.
पिछले आठ साल से वेस्ट नोटिंघमशायर कॉलेज में बतौर प्राचार्य वेस्ट मिडलैंड के पिछड़े इलाके में सेवाएं देने को लेकर उन्हें सम्मानित किया गया है. वह अपने देश में भी कौशल विकास कार्य में सक्रिय रुप से जुड़ी हुई हैं.1931 में धार एस्टेट की महारानी लक्ष्मी देवी बाई साहिबा के बाद तीन बच्चों की भारतीय मूल की मां आशा को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. 1,195 लोगों को इस साल इस सम्मान के लिए चुना गया जिनमें 610 महिलाएं हैं.
आशा की शादी महज 15 साल की उम्र में हो गई थी. वह 1975 में अपने पति और तीन बच्चों के साथ 25 वर्ष की उम्र में ब्रिटेन आई.उन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी, पर उन्होंने सांस्कृतिक और भाषायी बाधाओं को पार किया. 1980 के दशक में आशा ने खुद को सुशिक्षित बनाने की कवायद शुरु की.
उन्होंने बच्चों के टीवी शो देखकर और युवा माताओं से बात कर अंग्रेजी सीखी. आशा ने कहा, ‘‘भारत अवसरों का देश है जहां प्रतिभा की मौत नहीं होती. लेकिन वहां परिकल्पना और उसे लागू करने के बीच खाई है.’’