पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा कि भाजपा को छोड़ कर बिहार के सभी राजनीतिक दलों की मजबूरी है कि वे केंद्र में कांग्रेस का ही समर्थन करें और राहुल-सोनिया गांधी का ही गुणगान करते रहें.
पहली बार जब पिछड़ा वर्ग से आनेवाला कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना है, तो उसका विरोध किया जा रहा है. यह विरोध कांग्रेस का समर्थन है. छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एक गरीब और चाय बेचनेवाले के बेटे को प्रधानमंत्री बनने से रोकने की कोशिश और साजिश की जा रही है. प्रदेश भाजपा कार्यालय में सोमवार को वे भाजपा अतिपिछड़ा मंच की ओर से कपरूरी ठाकुर जयंती समारोह की तैयारी के लिए समीक्षा बैठक में बोल रहे थे.
कांग्रेस ने अतिपिछड़ों की उपेक्षा की : उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य में लंबे शासनकाल के दौरान कांग्रेस सदैव अतिपिछड़ा वर्ग की उपेक्षा करती रही है. अतिपिछड़ों को सम्मान और आरक्षण का लाभ जनसंघ या भाजपा की सरकारों या समर्थित सरकारों में ही मिला है. कपरूरी ठाकुर की सरकार में कैलाशपति मिश्र वित्त मंत्री थे, तो अतिपिछड़ों को सरकारी सेवा और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ दिया गया था. बिहार में एनडीए की सरकार के दौरान पंचायत चुनाव में अतिपिछड़ों के लिए सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया. बिहार के सम्यक विकास के लिए 50 हजार करोड़ रुपये ज्यादा के विशेष पैकेज की जरूरत है. समीक्षा के दौरान कपरूरी जयंती के समापन समारोह 22 जनवरी, 2014 के भव्य आयोजन का निर्णय हुआ. अध्यक्षता मंच के प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद चंद्रवंशी, पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, प्रदेश मंत्री नीलम सहनी व संगठन मंत्री नागेंद्र जी सहित अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जदयू के विधायकों व सांसदों का भरोसा नहीं रहा. उनमें जदयू व भाजपा गंठबंधन टूटने के कारण काफी नाराजगी है. आनेवाले लोकसभा चुनाव में जदयू की स्थिति होगी, उसको सोच कर वे भाजपा नेताओं से संपर्क कर रहे हैं.
-सुशील मोदी, पूर्व उपमुख्यमंत्री