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बने भोजपुरी प्रदेश : निखिल

पटना: जब तमिल भाषियों के लिए अलग प्रदेश बन सकता है, तो भोजपुरी भाषियों के लिए क्यों नहीं. अलग भोजपुरी प्रदेश बनाने का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा जाना चाहिए. यदि इस पर मुहर लग गयी, तो यह उत्तरप्रदेश और बिहार से भी बड़ा प्रदेश होगा. ये बातें केरल के राज्यपाल निखिल कुमार ने […]

पटना: जब तमिल भाषियों के लिए अलग प्रदेश बन सकता है, तो भोजपुरी भाषियों के लिए क्यों नहीं. अलग भोजपुरी प्रदेश बनाने का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा जाना चाहिए. यदि इस पर मुहर लग गयी, तो यह उत्तरप्रदेश और बिहार से भी बड़ा प्रदेश होगा. ये बातें केरल के राज्यपाल निखिल कुमार ने शनिवार को अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहीं.

आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए लेना होगा संकल्प : उन्होंने कहा कि भोजपुरी महत्वपूर्ण भाषा है. इसका अपना शानदार इतिहास रहा है. इसे संजो कर आगे ले चलना है. संकल्प लें-भोजपुरी की इज्जत को हम चार चांद लगायेंगे, क्योंकि यह हिंदुस्तान की गरिमामय और ऐतिहासिक भाषा है. इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने का उन्होंने लोगों से संकल्प लेने की अपील की. उन्होंने कहा कि वे गुयाना गये, वहां लाखों लोग भोजपुरी बोलते हैं. इसे वहां की सरकारी भाषा घोषित किया गया है. मॉरीशस व फिजी में भी बड़ी संख्या में लोग भोजपुरी बोलते हैं.

यह भाषा कितनी सर्वग्राही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, जब लोकसभा में इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव आया, तो तमिल बोलनेवाले मंत्री पी. चिदंबरम ने भोजपुरी में जवाब दिया औरकहा-‘हमरा मालूम बा, रऊआ लोग का चाह तानी.’. बिहार सरकार ने इसे आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव सदन से पारित कर दिया है. अब दिल्ली से पास कराने के लिए संघर्षकरना होगा.

उन्होंने कहा कि भोजपुरी क्षेत्र ने देश-दुनिया को बड़ी-बड़ी हस्तियां दी हैं. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद भोजपुरी भाषी क्षेत्र के ही थे. 1937 से 1986 तक सांसद रहे बाबू जगजीवन राम भी भोजपुरी क्षेत्र से ही थे. भोजपुरी जहां जाती है, वहां अपना वर्चस्व बना लेती है.

संस्कृत के बाद भोजपुरी सबसे पुरानी भाषा : मॉरीशस के पूर्व मंत्री जगदीश गोवर्धन ने कहा कि उनके पूर्वज भारतीय थे. मेरी मातृभाषा भोजपुरी है. 26 करोड़ लोग दुनिया भर में भोजपुरी बोलते हैं, किंतु आज भी यह उपेक्षित है. मातृभाषा दिमाग को रोशनी देती है. अफ्रीका, इंगलैंड व फ्रांस में भी बड़ी संख्या में लोग भोजपुरी बोलते हैं. संस्कृत के बाद भोजपुरी सबसे पुरानी भाषा है. यूनेस्को ने सभी मातृभाषाओं को बराबरी का दर्जा दिया है, किंतु अपने देश में यह आठवीं अनुसूची तक में शामिल नहीं हो पायी. वाकई यह दुखद है. मॉरीशस में तो 100 गांवों के स्कूलों में भोजपुरी पढ़ाई जाती है, किंतु यहां क्या हो रहा?

सम्मेलन को भोजपुरी सिने स्टार कुणाल सिंह, मॉरीशस की सरिता बुधु, गुरुचरण सिंह, डॉ गोपाल प्रसाद सिन्हा, आचार्य पांडेय कपिल, वीर कुंवर सिंह फाउंडेशन के निर्मल कुमार, दिल्ली भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष अजीत दूबे, डॉ रिपुदमन प्रसाद श्रीवास्तव, विधायक रेणु देवी, विधान पार्षद हरेंद्र प्रताप आदि ने भी संबोधित किया. सम्मेलन का श्रीगणोश बृज किशोर दूबे ने बटोहिया गीत गाकर किया. मौके पर भोजपुरी साहित्य का इतिहास, भोजपुरी संवाद, भोजपुरिया पत्रिका और तीन डेगे त्रिलोक जैसी दर्जन भर पत्रिका और पुस्तकों का विमोचन भी हुआ.

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