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आर्थिक तंगी से परेशान पुजारी ने की पत्नी व चार बेटियों के साथ खुदकुशी

पटना/पानागढ़: पटना जिले के मोकामा के शिवनार निवासी 45 वर्षीय विजय शंकर मिश्र ने अपनी पत्नी व चार मासूम बेटियों के साथ पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के तारापीठ में भारत सेवा संघ आश्रम के गेस्ट हाउस में सल्फास खाकर खुदकुशी कर ली. ये लोग 24 दिसंबर को तारापीठ गये थे और गेस्ट हाउस के […]

पटना/पानागढ़: पटना जिले के मोकामा के शिवनार निवासी 45 वर्षीय विजय शंकर मिश्र ने अपनी पत्नी व चार मासूम बेटियों के साथ पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के तारापीठ में भारत सेवा संघ आश्रम के गेस्ट हाउस में सल्फास खाकर खुदकुशी कर ली.

ये लोग 24 दिसंबर को तारापीठ गये थे और गेस्ट हाउस के 16 नंबर कमरे में रह रहे थे. गुरुवार की सुबह गेस्ट हाउस प्रशासन ने जब कमरे को बंद पाया, तो शक हुआ. जब दरवाजा तोड़ कर अंदर गये, तो सभी दंग रह गये. विजय, उनकी पत्नी कालिंदी मिश्र (40 वर्ष) व चारों बेटियां-दुर्गा (8 वर्ष), सृष्टि (6 वर्ष), गायत्री (4 वर्ष) व भवानी (2 वर्ष) मृत पड़ी थीं. सभी के मुंह से झाग निकल रहा था. उन सभी का गुरुवार को पटना निकलने का कार्यक्रम था.

सुसाइड नोट बरामद
बीरभूम के एसपी सी सुधाकर ने बताया कि कमरे से एक सुसाइड नोट और मोबाइल फोन बरामद हुआ है. सुसाइड नोट में विजय शंकर मिश्र ने लिखा है कि वे आर्थिक तंगी से परेशान हो चुके हैं. उनकी चार बेटियां हैं. इनकी शादी कैसे करेंगे, यह समझ में ही नहीं आ रहा है. इसलिए इस घटना को अंजाम दे रहे हैं. इसमें किसी का कोई दोष नहीं है. विजय शंकर मिश्र के चार भाई हैं. कमरे से जहर की शीशी भी बरामद कर ली गयी है.

रात में बगल के होटल से मंगाया था खाना
गेस्ट हाउस के मैनेजर दिनेशानंद ने बताया कि रजिस्टर पर विजय शंकर व उनकी पत्नी कालिंदी की इंट्री है व पता खेमनीचक, पटना दर्ज है. 25 दिसंबर को पूरे परिवार ने तारापीठ मंदिर में पूजा की व कमरे में लौट आया. रात में उन्होंने बगल के होटल से खाना मंगाया था और सभी परिवार खाना खाने के बाद सल्फास खाकर सो गये. उनका डिपार्चर गुरुवार की सुबह 10 बजे था. सुबह जब गेस्ट हाउस का कर्मी कमरे की सफाई करने गया तो कमरा बंद था. काफी प्रयास के बाद भी कमरा नहीं खुला तो पुलिस को सूचना दी गयी. पुलिस सूत्रों ने बताया कि दरवाजा तोड़ कर पुलिस जब कमरे में पहुंची, तो सभी छह लोगों के शव बिस्तर पर पड़े थे. हर शव के सीने पर गीता रखी हुई थी.

विजय शंकर मिश्र अपने परिवार का जीवनयापन पूजा-पाठ करा कर करते थे. इस धंधे में उनका इनकम काफी कम था, जिसके कारण वे हमेशा परेशान रहते थे. खेमनीचक में रहनेवाली उनकी बहन मीना ने बताया कि तीन माह पहले वे वहीं भल्लू सिंह के मकान में किरायेदार थे. दो माह पहले वे लोग द्वारिका चले गये थे. वे बराबर तीर्थयात्र पर जाते थे. विजय शंकर मिश्र के छोटे भाई उमाशंकर मिश्र ने बताया कि उन्हें जब इस बात की जानकारी मिली, तो वे भी आश्चर्यचकित थे. उन्होंने कभी अपने कष्ट का जिक्र तक नहीं किया था. उन्हें मीडियाकर्मियों से ही जानकारी मिली. अब वे लोग पश्चिम बंगाल जायेंगे और वहां की स्थिति को देखने के बाद ही कुछ कह सकेंगे. उन्होंने फिलहाल किसी प्रकार की शंका से इनकार कर दिया.

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