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महासेतु से खुला विकास का रास्ता

पटना: वह जमाना गया, जब बिहार में सडकों की दूरियां किलोमीटर में नहीं घंटों में मापी जाती थी. अब, अररिया या बेतिया से छह घंटे में राजधानी पहुंचना आसान हो गया है. सड़क के मामले में सरकार की पहल ने आम लोगों को जबरदस्त राहत दी है. दशकों से जिन इलाकों से संपर्क बाधित था, […]

पटना: वह जमाना गया, जब बिहार में सडकों की दूरियां किलोमीटर में नहीं घंटों में मापी जाती थी. अब, अररिया या बेतिया से छह घंटे में राजधानी पहुंचना आसान हो गया है. सड़क के मामले में सरकार की पहल ने आम लोगों को जबरदस्त राहत दी है. दशकों से जिन इलाकों से संपर्क बाधित था, वहां पहुंचना अब मिनटों का खेल हो गया है.

कोसी महासेतु बन जाने से सुपौल और अररिया की पटना से दूरी कम हो गयी. रतुअलपुर पुल बनने से बगहा से पटना पहुंचना आसान हो गया. हाल ही में आम जनता को समर्पित सहरसा के बलुआहा घाट पुल के बन जाने से सहरसा और दरभंगा की दूरी कम हो गयी है. पुरानी सड़कों के रखरखाव के लिए सरकार ने रोड मेंटेनेंस पॉलिसी जारी की है. इस पर काम भी आरंभ हो गया है. गंगा नदी पर कच्ची दरगाह से विदुपुर तक जाने वाली पुल और दीघा से सोनपुर तक जाने वाली सड़क सह रेल पुल के निर्माण हो जाने से दक्षिण बिहार से उत्तर बिहार की ओर पहुंचना और आसान हो जायेगा. नदियों पर महासेतु बनने के अलावा शहरीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई नयी सड़कों का निर्माण किया जा रहा है. गंगा पाथ वे, दीघा से एम्स जाने के लिए एलिवेटेड रोड, पटना से बक्सर, पटना से गया, और नया बाइपास के अलावा एक और बाइपास. राजधानी को आसपास के इलाकों से जोड़ने वाली कई सड़कें निर्माण की प्रक्रिया में है.

आठ वर्षो में निर्माण के क्षेत्र में बड़े बदलाव नजर आये. सड़क और पुलों के निर्माण की गति तेज हुई, पटना और राजगीर के आसपास बड़ी इमारतें बननी आरंभ हुई. रीयल स्टेट के क्षेत्र में भारी निवेश हुआ. अकेले पटना में करीब आठ हजार करोड़ रुपये इस क्षेत्र में निवेश हुई है. सरकार ने किशनगंज जैसे दूरदराज के जिले से भी छह घंटे में राजधानी पहुंचने की योजना बना रखी है. इसके तहत सड़क और पुलों के निर्माण की योजना है. स्वर्ण चतुर्भज योजना के तहत प्रथम चरण में 205. 70 किलो मीटर एनएच को फोर- लेन में तब्दील किया गया है. सरकार ने इस्ट-वेस्ट कॉरिडोर की 513 किलो मीटर नेशनल हाइ-वे को फोरलेन में तब्दील करने के लिए एनएचएआइ को हस्तांतरित किया है. इसका 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. उत्तर प्रदेश की सीमा पर 120 किमी और झारखंड सीमा से सटे 85 किमी एनएच को भी छह-लेन में तब्दील करने की योजना है. पिछले आठ वर्षो में 3,214 किलोमीटर हाइवे विकसित किया गया है. बाकी बची सड़कों के विकसित हो जाने के बाद किसी भी जिले से छह घंटों में राजधानी पटना पहुंचने का रास्ता साफ हो जायेगा.

गुणवत्ता में कोई कोताही नहीं
’’सड़क के मामले में सरकार की प्राथमिकता तय है. विभाग सडकों का निर्माण कर रही है, बल्कि रखरखाव के लिए नयी पालिसी के तहत काम भी शुरू हो गया है. इसकी गुणवत्ता में कोई कोताही नहीं बरती जा रही. समय सीमा के भीतर निर्माण कार्य पूरे हों, इसके लिए काम में तेजी लायी जा रही है.’’

प्रत्यय अमृत, सचिव पथ निर्माण विभाग

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