पटना: भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील मोदी ने बिहार के गन्ना किसानों को भी उत्तरप्रदेश की तरह 280 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कीमत देने की मांग सरकार से की है.
उन्होंने कहा कि सरकार चीनी मिलों को खस्ताहाली से उबारने के लिए रियायत-पर-रियायत दे रही है, लेकिन किसानों को कोई लाभ नहीं दे रही. गन्ना किसानों को मिलनेवाले पांच रुपये का अनुदान दर बढ़ा कर कम-से-कम 25 रुपये किया जाना चाहिए.
किसानों को भी मिले सब्सिडी : राज्य मंत्रिमंडल ने गन्ना मिलों को पांच रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने का निर्णय कर गन्ना उत्पादक किसानों के साथ क्रूर मजाक किया है. सरकार गन्ना उत्पादक किसानों को 25 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी दे. सरकार से उक्त मांग शुक्रवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने की. उन्होंने पिछले वर्ष के गन्ना रेट में वृद्धि करने की भी मांग की है. एक वर्ष में डीजल की कीमतें एक नहीं, 11 बार बढ़ी हैं. यही नहीं, गन्ना उत्पादन के साथ-साथ उसे मिलों तक पहुंचाने के किराये में भी इजाफा हुआ है, किंतु सरकार ने किसानों को नजर अंदाज कर मिलों को राहत दी है.
गन्ना के मूल्य में कोई बढ़ोतरी न कर सरकार ने किसानों की उम्मीद की मिठास ही चूस ली है. पुराने 255 रुपये प्रति क्विंटल का रेट इस साल के लिए तय किया जाना गन्ना उत्पादकों के साथ घोर अन्याय है. सूबे के गन्ना किसान पहले से ही आर्थिक संकट को ले कर परेशान थे, सरकार के ताजा फैसले से उनका संकट और बढ़ेगा तथा इससे वे आर्थिक रूप से कमजोर होंगे. पेराई का निर्णय विलंब से लेने के कारण किसान गेहूं की फसल नहीं लगा पाये, यानी एक फसल उनकी बरबाद हो गयी.