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लोकसभा चुनाव : वाम दलों की राहें जुदा

पटना: राज्य के तीनों प्रमुख वाम दलों ने लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़ने की तैयारी की है. तीनों दलों ने इसके लिए सीटों का भी चयन कर लिया है. भाकपा की बुधवार व गुरुवार को हुई बैठक में 11 सीटों पर चुनाव की तैयारी का निर्णय लिया गया है. इनमें बेगूसराय, मधुबनी, गया, बांका व मोतिहारी […]

पटना: राज्य के तीनों प्रमुख वाम दलों ने लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़ने की तैयारी की है. तीनों दलों ने इसके लिए सीटों का भी चयन कर लिया है. भाकपा की बुधवार व गुरुवार को हुई बैठक में 11 सीटों पर चुनाव की तैयारी का निर्णय लिया गया है. इनमें बेगूसराय, मधुबनी, गया, बांका व मोतिहारी सीट को पार्टी प्रतिष्ठावाली सीट मान रही है. पार्टी के पूर्व राज्य सचिव बद्री नारायण लाल ने कहा कि पार्टी गैर कांग्रेस और गैर भाजपा दल से ही समझौता करेगी.

जदयू से समझौता से वह इनकार नहीं करते हैं, पर उन्होंने इतना कहा कि फिलहाल जिलों से प्रत्याशियों के नाम मांगे गये हैं. लाल ने कहा है कि जिला पार्टी से प्रत्याशी के नाम मिलते ही गंठबंधन से संबंधित कार्य को भी अंतिम रूप दे दिया जायेगा. वहीं, पार्टी नेता खगेंद्र ठाकुर ने कहा है कि पार्टी लोकसभा चुनाव में जदयू के साथ समझौता करेगी.

माकपा की तीन सीटों की तैयारी
माकपा ने भी उजियारपुर, बेतिया व दरभंगा से चुनाव लड़ने की तैयारी को अंतिम रूप दिया है. उम्मीदवारों का भी चयन कर लिया है. पार्टी के नेताओं ने गंठबंधन नहीं होने की स्थिति में दो अन्य सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की बात कही है. वहीं भाकपा माले की ओड़िशा के भुवनेश्वर में संपन्न केंद्रीय कमेटी की बैठक में देश भर में 70 और राज्य के कम-से-कम 22 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय किया है. पार्टी ने फिलहाल वाम के अलावा किस अन्य दल से चुनावी तालमेल का निर्णय नहीं किया है. पार्टी राज्य सचिव मंडल सदस्य संतोष सहर का मानना है कि चुनाव के वक्त आते-आते सब तय हो जायेगा. माकपा राज्य सचिव विजय कांत ठाकुर ने कहा है कि सिर्फ गंठबंधन कर लेने मात्र से काम नहीं चलेगा. राजद के वोट लेफ्ट को मिलेगा यह भी उम्मीद करना अधिक होगा. ऐसे में वाम दलों को ही एक साथ चुनाव लड़ना चाहिए. विदित हो कि 2009 के लोकसभा चुनाव में भाकपा माले 18, भाकपा आठ और माकपा पांच सीटों पर चुनाव लड़ी थी. सभी सीटों पर वाम दलों के बीच गंठबंधन भी था. इस चुनाव में भाकपा को एक, माकपा को एक से कम और भाकपा माले को दो प्रतिशत वोट मिले थे. इसके बावजूद वाम दलों को इस चुनाव में एक भी सीट पर सफलता नहीं मिली थी.

कांग्रेस की कठपुतली बने राजद-जदयू
राजद और जदयू को कांग्रेस कठपुतली की तरह नचा रही है. दोनों दलों के सुरमा कांग्रेस सुप्रीमो की चरण वंदना को तत्पर हैं. शुक्रवार को भाजपा के मुख्य प्रवक्ता सह विधायक विनोद नारायण झा ने कहा कि कांग्रेस एक ओर राजद से समझौता करने को आतुर हैं, तो दूसरी ओर उसने बिहार में जदयू के साथ समझौता कर रखा है. जदयू को समर्थन दे कर उसने सरकार को बचाये रखा है. दोनों दलों को कांग्रेस कठपुतली का खेल खेला रही है. छोटे भाई और बड़े भाई कठपुतली बने हुए हैं. जनता इस खेल को बड़े नजदीक से देख रही है. कांग्रेस विरोधी मानसिकता वाले इन नेताओं की पदलोलुपता के लाभ में कांग्रेस को साथ रखने की मजबूरी को जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी. 2014 के चुनाव में इन्हें जनता सबक सिखा देगी.

अभी गंठबंधन का निर्णय नहीं : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस कमेटी लोकसभा की 40 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है. कांग्रेस का अभी तक गंठबंधन को लेकर किसी भी दल के साथ निर्णय नहीं हुआ है. मीडिया प्रभारी प्रेमचंद्र मिश्र ने बताया कि अभी गंठबंधन को लेकर निर्णय होना बाकी है. प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी और विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह दिल्ली में हैं. वे बिहार की राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर केंद्रीय नेताओं से चर्चा कर रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष ने शुक्रवार को पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर भावी रणनीति पर विचार विमर्श किया. उन्होंने बिहार में बढ़ रही हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से भी मुलाकात की है.

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