22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पटना में पकड़े गये आठ जालसाज

पटना: आयुक्त व डीएम बन कर बिहार, झारखंड, यूपी और पश्चिम बंगाल के कई अधिकारियों से मोटी रकम ऐंठनेवाले एक गिरोह के आठ जालसाजों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इन जालसाजों ने अफसरों से अब तक करीब पांच करोड़ रुपये की ठगी की है. पुलिस ने छापेमारी में 17 लाख रुपये कीमत की महिंद्रा […]

पटना: आयुक्त व डीएम बन कर बिहार, झारखंड, यूपी और पश्चिम बंगाल के कई अधिकारियों से मोटी रकम ऐंठनेवाले एक गिरोह के आठ जालसाजों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इन जालसाजों ने अफसरों से अब तक करीब पांच करोड़ रुपये की ठगी की है. पुलिस ने छापेमारी में 17 लाख रुपये कीमत की महिंद्रा एक्सयूबी 500, स्विफ्ट कार, दो लैपटॉप, सात एटीएम कार्ड, विभिन्न बैंकों की पासबुक, दो मॉडम, सॉफ्टवेयर से संबंधित सीडी, पेन ड्राइव आदि बरामद किये. इन्हें बिहार, झारखंड, यूपी व पश्चिम बंगाल की पुलिस पिछले दो साल से खोज रही थी.

ऐसे हुई गिरफ्तारी : पटना पुलिस ने 11 नवंबर को मां-बेटे अर्चना देवी व अमित कुमार (गर्दनीबाग न्यू रोड काली बाड़ी)और आशीष कुमार (जक्कनपुर) को पकड़ा था. जब सचिवालय डीएसपी मनीष कुमार के नेतृत्व में टीम ने अनुसंधान शुरू किया, तो इसमें रुपम कुमार (बैरिया, प्रेमनगर, गोपालपुर) का नाम आया, जो उस समय फरार हो गया था. इसके साथ ही पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि कॉरपोरेशन बैंक ऑफ इंडिया में कई खाताधारी हैं, जिनके खाते में अपने आप को आयुक्त व जिलाधिकारी बताते हुए मातहतों से पैसा डलवाने के लिए कहा गया. पुलिस ने रुपम कुमार को पकड़ा, तो इस गिरोह की परत-दर-परत खुलने लगी. उसकी निशानदेही पर अमित कुमार उर्फ सोनू, अविनाश कुमार श्रीवास्तव उर्फ छोटू, राजीव कुमार उर्फ राजू, प्रेम लाल उर्फ प्रेम, राजीव कुमार उर्फ अनंत, नीरज कुमार व सतीश कुमार को बारी-बारी से गिरफ्तार किया. हालांकि, गिरोह का मास्टरमाइंड रंजन कुमार मिश्र अब तक पकड़ में नहीं आया है.

सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल : कई सॉफ्टवेयर की मदद से ये लोग आयुक्त, जिलाधिकारी व अन्य अधिकारियों के मोबाइल नंबर का उपयोग करते थे. सॉफ्टवेयर में इन लोगों ने अपना फर्जी एकाउंट बना लिया था और उसी के माध्यम से किसी अधिकारी को फोन करते थे. एकाउंट बनने के बाद जिसे भी फोन करना है, उसका नंबर डायल करना होता है. ये लोग किसी आयुक्त व डीएम का नंबर उसमें डाल देते थे, जिसके कारण ये जिसे भी फोन करते थे, उसके मोबाइल फोन पर आयुक्त व जिलाधिकारी का मोबाइल फोन नंबर दिखता था और अधिकारी झांसे में आ जाते थे. बात करने की जिम्मेवारी मास्टरमाइंड रंजन कुमार मिश्र की थी. इसे किसी की आवाज में भी अगले व्यक्ति से फोन पर बात करने में महारत हासिल है. रंजन कुमार मिश्र फर्जी आयुक्त व जिलाधिकारी बन कर मातहतों को निर्देश देता था कि कुछ जरूरी काम के लिए पैसों की जरूरत है, तुरंत ही इस एकाउंट नंबर में उतने पैसे डाल दें. बॉस का फोन आया और वह भी उनके नंबर से तो कोई भी चकमा खा जाता और तुरंत ही बताये गये एकाउंट में पैसे डाल देता.

मजबूत नेटवर्क
जैसे ही एकाउंट में पैसे आने की जानकारी मिल जाती, तो रंजन मिश्र इसकी जानकारी अविनाश को दे देते थे. अविनाश, राजीव कुमार अनंत, नीरज कुमार, अमित कुमार तुरंत ही सक्रिय हो जाते और किसी भी एटीएम से निकासी कर ली जाती. ये लोग फर्जी वोटर कार्ड व ड्राइविंग लाइसेंस का उपयोग कर विभिन्न बैंकों में अपना खाता खुलवाते थे. इतना ही नहीं, ये किसी को इस बात का भी प्रलोभन देते थे कि उसका पैसा उनके खाते में आयेगा, वह अगर निकाल कर दे देंगे तो उसके लिए पांच फीसदी कमीशन दिया जायेगा. कमीशन के चक्कर में भी ये लोग कई लोगों के खातों का उपयोग कर चुके है. खाता की व्यवस्था करने की जिम्मेवारी रुपम कुमार व अमित कुमार उर्फ सोनू की थी. पुलिस को शक है कि यह गिरोह हवाला से भी जुड़ा है.

दो साल से खोज रही थी यूपी, झारखंड व बंगाल की पुलिस
पटना में पकड़े गये आठ जालसाज

कौन-कौन बने शिकार
खैरागढ़ (यूपी) के डिप्टी कलेक्टर त्न सुपौल के निर्मली के सीओत्न औरंगाबाद के डीसीएलआरत्न नवादा के एसडीओत्न जमुई के एसडीओ कटिहार के डीसीएलआर

कंप्यूटर एक्सपर्ट है अमित
पकड़े गये जालसाज अमित ने दिल्ली में पढ़ाई की है. दिल्ली के ही एक कॉलेज से एमबीए की डिग्री ली और कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर में महारत हासिल की. राजीव कुमार की श्रीकृष्णापुरी में एसी की दुकान है. इन दोनों के अलावा सभी स्नातक हैं और अच्छे घरों से जुड़े हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें