पटना : निबंधक सहयोग समितियां के कोर्ट में पेशकार ने ही एक मामले में फैसला लिख दिया. यह खुलासा पटना हाइकोर्ट में मंगलवार को एक लोकहित याचिका की सुनवाई के दौरान हुआ.
बताया गया कि सहकारिता कोर्ट में वकीलों के बैठने की जगह नहीं होती. जज भी बमुश्किल बैठ पाते हैं. याचिकाकर्ता के इस दावे पर न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा व शैलेश सिन्हा के खंडपीठ ने सरकार से इसे गंभीरता से लेने का आदेश दिया. खंडपीठ ने टिप्पणी की कि यह कोर्ट सरकारी कार्यालयों की तरह काम करता है.
न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह से अदालतें नहीं चलतीं. खंडपीठ ने सप्ताह में कम-से-कम तीन दिन कोर्ट लगने तथा पारदर्शी तरीके से कार्य होने चाहिए. न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे तरीके से कोर्ट की कार्यवाही चले, जिससे आम आदमी को भी लगे कि उसके मामले की सुनवाई हो रही है. मुकदमे की तिथियों का इंटरनेट पर अपडेट हो. फैसलों को सार्वजनिक किये जाये. उसे भी इंटरनेट पर डाला जाये.
खंडपीठ ने सरकार को दो सप्ताह में जवाब देने व पूरी कार्ययोजना की जानकारी देने को कहा है. दो सप्ताह बाद इस मामले की सुनवाई की जायेगी. याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि सहकारिता विभाग के तहत चल रहे कोर्ट में पारदर्शिता नहीं है.