पटना : केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री के सुरेश ने बताया कि बिहटा में बन रहे कर्मचारी राज्य बीमा निगम (इएसआइसी) के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अगले सत्र (2014-15) से एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू होगी. इसमें 100 सीटों पर एडमिशन होगा. दिसंबर तक इसका 300 बेडों का अस्पताल चालू हो जायेगा.
इसके बाद कॉलेज की मान्यता के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को आवेदन दिया जायेगा.
सोमवार को पटना आये श्री सुरेश ने श्रम संसाधन मंत्रालय से जुड़े 11 विभागों की समीक्षा की. उन्होंने कहा, हेल्थ कवरेज की सीमा 15 हजार से बढ़ा कर 25 हजार रुपये तक दिया गया है. इसकी अधिसूचना जल्द जारी होगी. राज्य में कर्मचारियों के लिए कम डिस्पेंसरी होने पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रस्ताव भेजेगी, तो और डिस्पेंसरी खोलने की अनुमति केंद्र सरकार देगी.
जहां डिस्पेंसरी नहीं है, वहां डॉक्टरों को विशेषज्ञ इलाज के लिए सूचीबद्ध किया जायेगा. बिहार अभी सिर्फ19 डिस्पेंसरी हैं. उन्होंने आश्चर्य जताया कि राज्य के 38 जिलों में से 15 में ही कर्मचारी राज्य बीमा योजना का कवरेज है.
इएसआइसी आरा, कोइलवर, बाढ़ व पूर्णिया में कवरेज बढ़ाने जा रहा है. राजगीर, कहलगांव व छपरा में जल्द शाखा कार्यालय खुलेगा. उन्होंने बिहार में श्रम न्यायाधिकरण व श्रम न्यायालय की स्थापना पर विचार करने का आश्वासन दिया.
– इधर हाइकोर्ट ने जतायी नाराजगी
99 लाख के पायजामा कुरता का हिसाब दो
पटना : पीएमसीएच में मरीजों की 99 लाख की पोशाक (पायजामा–कुरता) और 65 लाख की जीवनरक्षक दवाएं बरबाद होने पर हाइकोर्ट ने नाराजगी जतायी है. इस पर राज्य सरकार से पहले भी जवाब मांगा गया था.
विकास चंद्र की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश नवीन सिन्हा और शैलेश कुमार सिन्हा के खंडपीठ ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, निदेशक प्रमुख व पीएमसीएच के अधीक्षक से 10 दिसंबर तक रिपोर्ट देने के लिए कहा है. साथ ही 12 दिसंबर को होनेवाली सुनवाई में उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया है. हाइकोर्ट में पीएमसीएच में विकलांगों के लिए जैक एनालाइजर मशीन खरीद में घोटाले का भी मामला उठा.
इस मशीन को अब तक चालू भी नहीं कराया जा सका है. कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व निदेशक को हफ्ते भर में इसे चालू कराने का निर्देश दिया है. साथ ही इसकी रिपोर्ट मांगी है. इस मामले पर 10 दिसंबर को सुनवाई होगी.
2 बिहार स्टेब्लिसमेंट एक्ट जल्द हो लागू
पटना : बिहार स्टेब्लिसमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट, 2013 का जल्द लागू हो. पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को नियमावली बना कर जल्द लागू करने का निर्देश दिया है. इस एक्ट के तहत हर व्यक्ति के लिए अस्पताल में बुनियादी सुविधाएं क्या–क्या दी जा रही हैं, इसकी जानकारी अस्पतालों को देनी होगी. अस्पतालों में कितने डॉक्टर और नर्स हैं, क्या–क्या इलाज होता है और अस्पताल किस बीमारी के इलाज में स्पेशलाइजड है, यह बताना होगा.
एक्ट में सभी अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन करना होगा.
जिला स्तर पर जिला निबंधन प्राधिकार और राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय निबंधन समिति को इसका जिम्मा दिया जायेगा. साथ ही सरकार को एक सलाहकार गठित करनी होगी, जो बतायेगी कि किस बीमारी का इलाज कहां होगा और उसकी दूरी कितनी है. स्वास्थ्य से जुड़ी सभी जानकारियां भी सलाहकार को देनी होगी. जस्टिस नवीन सिन्हा और शैलेश सिन्हा के खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस एक्ट को दो साल पहले ही बना दिया है.
राज्य सरकार नियमावली बना कर जल्द इसे लागू करे. कोर्ट ने राज्य सरकार को 31 जनवरी, 2014 तक नियमावली तैयार करने का काम शुरू करवाने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई तीन फरवरी को सुनवाई होगी.
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि मशरख कांड में बच्चों को गलत दवा दी गयी थी. बच्चों को उल्टी रोकने की दवा दी गयी थी, जबकि उन्हें उल्टी करवाने की दवा दी जानी चाहिए थी. पीड़ित बच्चों के अभिभावकों के साथ–साथ डॉक्टरों को रोग के बारे में पता नहीं था.