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सीएम पर काम का बोझ अफसर हमें मानते भ्रष्ट

पटना: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह खुद को न तो विद्रोही मानते हैं और न असंतुष्ट. उनका कहना है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मेरे मतभेद भी नहीं हैं. दर्द है, तो बस ब्यूरोक्रेसी की कार्यशैली से, जो आदमी को आदमी नहीं समझते और नेता- कार्यकर्ता को बेईमान मानते हैं. उन्होंने माना कि जदयू में टीम स्पिरिट […]

पटना: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह खुद को न तो विद्रोही मानते हैं और न असंतुष्ट. उनका कहना है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मेरे मतभेद भी नहीं हैं. दर्द है, तो बस ब्यूरोक्रेसी की कार्यशैली से, जो आदमी को आदमी नहीं समझते और नेता- कार्यकर्ता को बेईमान मानते हैं. उन्होंने माना कि जदयू में टीम स्पिरिट की कमी है और मुख्यमंत्री कार्यो के बोझ से दबे हुए हैं. जदयू के राजगीर शिविर में जोरदार तरीके से अपनी बात कहनेवाले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने प्रभात खबर से बेबाक बातचीत की. उन्होंने कहा, शिविर के दो दिन बाद मैं मुख्यमंत्री से मिला था. उन्होंने मेरी बातें सुनीं. मुङो ऐसा एहसास हो रहा है कि चीजें अब सुधरेंगी. इस दिशा में कदम उठाने की पहल हो रही है.

सीएम अपना बोझ हल्का करें: जदयू नेता ने कहा कि मेरी बातों से यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि मैं नाराज चल रहा हूं. जदयू एक और मजबूत है. हां, पार्टी में टीम स्पिरिट की कमी दिख रही है.

मुख्यमंत्री कार्यो के बोझ से दबे हैं. इस कारण ब्यूरोक्रेसी का भाव चढ़ गया है. 50 प्रतिशत डीएम और एसपी अब भी अंगरेजी मानसिकता से काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री को अपने साथियों के साथ अन्य विभागों के बोझ को हल्का करना चाहिए. इससे दूसरी चीजों के लिए उनका समय निकल पायेगा. हालांकि, मंत्रियों की कम संख्या पहले भी रही है. वह भी जब विधानसभा की सदस्यों की संख्या 324 हुआ करती थी. एक समय महज नौ मंत्री ही थे. श्री सिंह ने कहा कि दल में सुधार की जरूरत है. मैं पार्टी, सरकार और नेता के क्रियाकलाप से असंतुष्ट नहीं हूं.

ब्यूरोक्रेसी हावी : निचली ब्यूरोक्रेसी के हावी होने पर कृषि मंत्री ने कहा कि इसका पूरा दायित्व सरकार के मुखिया का है. इसके लिए इच्छा की कमी नहीं है, बल्कि जिस गंभीरता के साथ ध्यान होना चाहिए, वह मुख्यमंत्री की व्यस्तता के कारण नहीं हो पा रहा है. दल के कार्यकर्ता, नेता और सरकार के मंत्रियों के साथ चिंतन होनी चाहिए. निदान ढूंढ़ने की कोशिश होनी चाहिए.

कैबिनेट के विस्तार संबंधी सवाल पर नरेंद्र सिंह ने कहा कि मैं नहीं समझता हूं कि इससे कोई अच्छा मैसेज जा रहा है. अधिकारियों पर अधिक निर्भरता लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. अपने साथियों में इस बोझ का बंटवारा कर देना चाहिए. लालू-राबड़ी के जंगलराज से उबरने के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया, वे सभी किनारे हैं. उन्हें कम- से-कम दल के भीतर मान-सम्मान मिलना चाहिए. लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए वरिष्ठ नेताओं की कोर कमेटी बने. कमेटी की आम राय पर आगे की चीजों का निर्धारण हो. लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर श्री सिंह ने कहा कि यदि पार्टी का आदेश होगा, तभी लड़ेंगे,अन्यथा नहीं.

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