गोपालगंज
वायरल बुखार के बीच डेंगू वायरस ने अपनी गिरफ्त मजबूत कर ली है. रोजाना दर्जनों नये मरीज सामने आ रहे हैं. जिले में एंटी लार्वा फॉगिंग के नाम पर जिला मलेरिया विभाग ने औपचारिकता निभायी, लेकिन अभी भी स्थिति नियंत्रण से बाहर नजर आ रही है. सरकारी आंकड़ों में डेंगू के मरीजों की संख्या सौ पार कर गयी है. जबकि निजी अस्पतालों की रिपोर्ट माने तो अभी तक कई की मौत हो चुकी है. हालांकि माइक्र ोबायोलॉजी विभाग का दावा है कि वर्तमान में फैले हुए डेंगू वायरस जानलेवा नहीं हैं.
क्या है डेंगू
एडीजे मच्छर के काटने से डेंगू होता है. यह चमकदार होता है, जो शरीर पर तिरछा बैठता है. यह सिर्फ दिन में काटता है. डेंगू तीन प्रकार का होता है, जिसमें डेंगू ज्वर, डेंगू हैमरेजिक फीवर एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम शामिल हैं. इसमें से सामान्य ज्वर अपने आप ठीक हो जाता है.
हैमरेजिक फीवर में रोगी के मुंह, नाक एवं अन्य स्थानों से खून आने लगता है. प्लेटलेट्स काउंट 30 हजार से कम होने पर खतरा बढ़ जाता है.सिंड्रोम में प्लेटलेट्स के साथ-साथ मरीज का रक्तचाप भी गिरने लगता है.
कैंसर रोगियों में कीमोथेरेपी से, जबकि मलेरिया रोगी एवं गुर्दे की बीमारी होने पर भी प्लेटलेट्स घटने लगता है. एलिजा टेस्ट से ही डेंगू की पुष्टि की जा सकती है. कहां पाये जाते हैं मच्छरघरों की टंकी, कूलर, बेकार पड़े टायर, बरतन में एकत्र साफ पानी में लार्वा पनपता है. मच्छर काटने के चार दिन बाद से शरीर में लक्षण उभरने लगते हैं. तेज बुखार के साथ-साथ सिर दर्द, उल्टी, पेट में दर्द, चकत्ते एवं रक्त स्राव जैसे लक्षण सामने आने दिखने लगते हैं.
क्या करें
एकत्रित पानी में मिट्टी का तेल या डीजल की बूंद डालें. मच्छरदानी का प्रयोग दिन में भी करें.
मच्छर भगाने वाली क्र ीम का भी इस्तेमाल बेहतर है.
क्या कहते हैं डॉक्टर
कई बार डेंगू वायरस शरीर में पहुंच कर बिना बुखार पैदा किए निकल जाता है, जो अगली बार नये वायरस के रुप में उभर सकता है.
डॉ विमल कुमार, उपाधीक्षक सदर अस्पताल, गोपालगंज