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मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति से कहा, हर साल आएं बिहार

पटना: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पहुंचने पर एयरपोर्ट पर राज्यपाल डॉ डीवाइ पाटील व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वागत किया. मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को बारी-बारी से तमाम वरीय अधिकारियों से परिचय कराया. शाम में विदाई देने भी मुख्यमंत्री व राज्यपाल पहुंचे. मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति से साल में एक बार बिहार अवश्य आने का आग्रह किया. […]

पटना: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पहुंचने पर एयरपोर्ट पर राज्यपाल डॉ डीवाइ पाटील व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वागत किया.

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को बारी-बारी से तमाम वरीय अधिकारियों से परिचय कराया. शाम में विदाई देने भी मुख्यमंत्री व राज्यपाल पहुंचे. मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति से साल में एक बार बिहार अवश्य आने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि उनकी गरिमामयी उपस्थिति से हम सबका उत्साहवर्धन होगा. राष्ट्रपति के आगमन पर फूलों का गुलदस्ता भेंट कर स्वागत करनेवालों में महापौर अफजल इमाम, मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा, पुलिस महानिदेशक अभयानंद, प्रधान सचिव गृह विभाग आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह, मंत्रिमंडल सचिव ब्रजेश मेहरोत्र, विशेष शाखा के एडीजी परेश सक्सेना, पटना प्रमंडल के आयुक्त इएलएसएन बाला प्रसाद, पुलिस महानिरीक्षक सुशील खोपड़े, पुलिस उप महानिरीक्षक सुनील कुमार, जिलाधिकारी,पटना एन सरवन कुमार, वरीय पुलिस अधीक्षक मनु महाराज आदि शामिल थे. राष्ट्रपति विमान तल से सीधे स्टेट हैंगर पहुंचे. राष्ट्रपति ने सबका अभिवादन स्वीकार किया.

राष्ट्रपति का फूलों का गुलदस्ता भेंट कर स्वागत करनेवालों में विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, विधानसभा उपाध्यक्ष अमरेंद्र प्रसाद सिंह, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, कल्याण मंत्री जीतन राम मांझी, योजना मंत्री नरेंद्र नारायण यादव, ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, उद्योग मंत्री रेणु कुमारी कुशवाहा, भवन निर्माण मंत्री दामोदर रावत, सूचना मंत्री वृशिण पटेल, पंचायती राज मंत्री भीम सिंह, विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री गौतम सिंह, भू राजस्व मंत्री रमई राम, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, कांग्रेस नेता सदानंद सिंह आदि प्रमुख थे.

लौटेगा बिहार का शैक्षिक गौरव
पटना: आइआइटी, पटना के दूसरे दीक्षांत समारोह में शनिवार को पहुंचे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बिहार के गौरवशाली शैक्षणिक अतीत का जिक्र करते हुए वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों को साझा किया.

साथ ही उन्होंने उम्मीद जतायी कि बिहार का शैक्षणिक गौरव लौटेगा. दीक्षांत समारोह में 89 छात्र-छात्राओं को डिग्री दी गयी. प्रणब मुखर्जी ने आइआइटी के छात्र अभिनव को राष्ट्रपति स्वर्ण पदक और क्षितिज को निदेशक स्वर्ण पदक प्रदान किया. रवींद्र भवन में आयोजित समारोह में श्री मुखर्जी ने कहा, एक समय बिहार पूरी दुनिया में ज्ञान बिखेरता था.

भारत में ऐसे विश्वविद्यालयों की श्रृंखला थी. नालंदा विवि और विक्रमशिला विवि इसके उदाहरण हैं. अशोक व कौटिल्य की यह धरती रही है. उन्होंने छात्रों व शिक्षकों का आह्वान किया कि बिहार और देश का शैक्षिक गौरवशाली इतिहास वापस लाने के लिए वे आगे आएं. यह मुश्किल नहीं है. मेरा विश्वास है कि आनेवाले वर्षो में हमारे संस्थान दुनिया के टॉप 10-20 में आयेंगे. आइआइटी, पटना को भी इसकी पहल करनी चाहिए.

राष्ट्रपति ने अपने करीब 25 मिनट के संबोधन में देश में शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जतायी. कहा, आज यह सुन कर अफसोस होता है कि दुनिया के टॉप 200 विवि में देश का एक भी उच्च संस्थान नहीं है. यहां मेधावी छात्र व योग्य शिक्षकों का अभाव नहीं है. जरूरत है बेहतर समन्वय की. 1930 में सीवी रमण को नोबेल पुरस्कार मिला. इसके बाद लंबे समय बाद भारतीय संस्थानों में पढ़े हरगोविंद खुराना, सुब्रमण्यम चंद्रशेखर व अमर्त्य सेन को नोबेल मिला. इतना लंबा फासला ठीक नहीं. शोध कार्यो को तरजीह देनी होगी. इस क्षेत्र में जापान से सीख लेने की जरूरत है.

उन्होंने छात्रों से कहा कि वे पढ़ने के बाद काम नहीं मांगें, बल्कि काम पैदा करें. अच्छा वेतन और बेहतर भविष्य सभी बच्चों का हक है, उसे हासिल भी करना चाहिए. लेकिन, इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है कि हमारा समाज और संस्थान, जिसने हमें काबिल बनाया, उसमें बेहतरी लाने का प्रयास करें. दुनिया के बड़े संस्थानों को बेहतर बनाने में उसी संस्थान के छात्रों की भूमिका रही है. उच्च शिक्षा में निजी निवेश भी आवश्यक है. इससे शोध को बढ़ावा मिलेगा. मुङो खुशी है कि आइआइटी, पटना ने शोध कार्य पर फोकस किया है. उम्मीद है कि अगले पांच वर्षो में यहां का इन्फ्रास्ट्रक्चर और बेहतर हो जायेगा. अब भी यहां वर्कशॉप और ट्रेनिंग की सुविधा अच्छी है और विदेशों से भी शिक्षक यहां पढ़ाने आते हैं.

नीतीश ने किया टोपी बदलने का आग्रह
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति से कहा, आपने कई परंपराएं तोड़ी हैं, जैसे ‘महामहिम’ संबोधन पर रोक लगाना. उसी तरह दीक्षांत समारोह में भी कुछ बदलाव की जरूरत है.

दीक्षांत पर पहनी जानेवाली विशेष टोपी की जगह कोई दूसरी टोपी या पगड़ी की व्यवस्था होनी चाहिए. उन्होंने कहा, 2005 में हमारी सरकार बनी, तो आइआइटी, पटना की दावेदारी की. मुझसे कहा गया कि जापानके सहयोग से इसकी स्थापना हो सकती है. दिल्ली में प्रधानमंत्री से जापान के पीएम की वार्ता थी. मुङो भी बुलाया गया था. पर, प्रस्तावों में आइआइटी, पटना नहीं था. मैंने तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री अजरुन सिंह से बात की. उन्होंने कहा कि आपको आइआइटी चाहिए. इसकी स्थापना केंद्र सरकार करेगी. फिर 2008 में इसकी स्थापना हुई.

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