पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को कहा कि अगर विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला, तो हम अपने अभियान को और तेज करेंगे. चैन से बैठनेवाले नहीं हैं. रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट ने जो अनुशंसा की है, उसे वित्त मंत्रलय के तहत
राजस्व विभाग को लागू करना है. उसका पालन करने में अधिकतम छह सप्ताह का समय लग सकता है. विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यांश कम लगाना पड़ता है. वह सुविधा इस अवधि में दी जा सकती है. हालांकि, मुख्यमंत्री ने इस समय को डेडलाइन या अल्टीमेटम मानने से इनकार करते हुए कहा कि यह शब्द मीडिया का सोच है.
जनता दरबार के बाद मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, मुंबई में बिहार औद्योगिक निवेश सलाहकार परिषद की बैठक उत्साहजनक रही. बैठक में उद्यमियों ने एक स्वर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग का समर्थन किया. पहली व दूसरी बैठक के बीच की अवधि में हुए कामों व लिये गये फैसलों से उद्यमियों को अवगत कराया गया. उद्यमियों की चिंता पहली बैठक में ऊर्जा को लेकर थी. उन्हें एक साल में ऊर्जा के क्षेत्र के हुए काम के बारे में बताया गया. इस तरह की बैठकों का यह अर्थ नहीं है कि ऑन द स्पॉट निवेश के फैसले ले लिये जाएं. उद्यमियों ने माना है कि बिहार में निवेश का वातावरण बना है. ऊर्जा के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, नगर विकास व कौशल विकास के बारे में भी उद्यमियों को बताया गया.
सीआइआइ ने रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट पर प्रेजेंटेशन दिया. पूंजी निवेश करनेवालों को सरकार हर सुविधा मुहैया करायेगी. उद्यमियों को जमीन की समस्या थी. सरकार ने प्राइवेट इंडस्ट्रियल इस्टेट स्थापित करने को लेकर नीति बना ली है. बियाडा के तर्ज पर ही इसे भी सुविधा दी जायेगी. उद्यमियों को आइटी व पर्यटन के क्षेत्र में निवेश करने को लेकर भी जानकारी दी गयी.