पटना: दिल्ली के एम्स की तरह अब आइजीआइएमएस में कैंसर मरीजों को सस्ती दवाइयां मिलेंगी. संस्थान एक माह के भीतर टेंडर निकाल कर दवा कंपनियों का चयन करेगा. इसके बाद मरीजों को परिसर में ही एमआरपी से 40 प्रतिशत कम कीमत पर दवाएं मिलेंगी. इसके लिए टीम का गठन किया गया है.
चयनित दवाओं का डिसप्ले ओपीडी में किया जायेगा, ताकि मरीज भी जान सकें कि डॉक्टरों को किस कंपनी की दवा लिखनी है. चयनित कंपनी के अलावा किसी अन्य कंपनी की दवा लिखने पर डॉक्टर की नौकरी चली जायेगी. इस प्रयोग के बाद यह व्यवस्था संस्थान के सभी विभागों में लागू होगी.
अस्पताल प्रशासन को ऐसी शिकायतें मिली हैं कि कुछ डॉक्टरों व बिचौलियों की मिलीभगत से ऐसी दवाएं बेची जा रही हैं, जिसकी कीमत अच्छी कंपनी से थोड़ी कम होती हैं और गुणवत्ता 95 प्रतिशत तक कम रहती है.ऐसे दवाओं से मरीजों को फायदा नहीं होता है. एक सप्ताह पहले कैंसर विभाग में पांच बिचौलिये पकड़े गये थे, जो मरीजों को स्वयंसेवक बताते थे और कम कीमत के नाम पर घटिया दवा दिलाते थे. निदेशक ने बिचौलियों को खुद पकड़ा और पुलिस के हवाले किया था.