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करोडों खर्च होने के बाद भी पटना में गांधी सेतु की स्थिति खराब

नयी दिल्ली/ पटना: बिहार में एक बडी आबादी की जीवनरेखा माने जाने वाले गंगा नदी पर बने करीब छह किलोमीटर लम्बे ‘महात्मा गांधी सेतु’ की मरम्मत पर पिछले एक दशक में करीब 115 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और आज भी मरम्मत का काम जारी है.सूचना का अधिकार कानून के तहत केंद्रीय सडक परिवहन […]

नयी दिल्ली/ पटना: बिहार में एक बडी आबादी की जीवनरेखा माने जाने वाले गंगा नदी पर बने करीब छह किलोमीटर लम्बे ‘महात्मा गांधी सेतु’ की मरम्मत पर पिछले एक दशक में करीब 115 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और आज भी मरम्मत का काम जारी है.सूचना का अधिकार कानून के तहत केंद्रीय सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2005. 2006 से अब तक 10 वर्षो में पटना के पास गंगा नदी पर निर्मित महात्मा गांधी सेतु की मरम्मत के लिए करीब 192 करोड़ रुपये आवंटित किये गए और इसमें से लगभग 115 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं.

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2014.15 के दौरान बिहार में गंगा नदी के उपर नये पुल के निर्माण के लिए भारत सरकार को बिहार सरकार से कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है.करीब छह किलोमीटर लम्बा गांधी सेतु 1982 में बना था और तब इसके निर्माण पर 82 करोड़ रुपये खर्च आया था. हालांकि एक दशक में इसकी मरम्मत पर 115 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है.
आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस पुल के कई खम्भे खराब स्थिति में थे जिनकी मरम्मत के लिए 2005 के बाद से ही समय समय पर धन आवंटित किया गया.महात्मा गांधी सेतु के पुनर्निमाण की काफी समय से मांग की जा रही है. हाल ही में प्रदेश सरकार ने गांधी सेतु के समानांतर एक अन्य पुल के निर्माण की घोषणा की है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2013 .14 में गांधी सेतु की मरम्मत के लिए 22.72 करोड़ रुपये आवंटित किये गए और इसके लिए लेटर आफ एवार्ड जारी किया गया है. पुल के खम्भा संख्या 44 के सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण के लिए 2012 में 33.56 करोड़ रुपये आवंटित किये गए, अब तक 4.67 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं और कार्य प्रगति पर है.

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