हाइकोर्ट का फैसला
– 1997 में लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार में 58 दलितों की हुई थी हत्या
– निचली अदालत ने 26 अभियुक्तों को सुनायी थी सजा
पटना : पटना हाइकोर्ट ने लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार के 26 अभियुक्तों को दोषमुक्त करार देते हुए निचली अदालत द्वारा दी गयी सजा से बरी कर दिया है. न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीएन सिन्हा और न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके लाल के खंडपीठ ने लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.
खंडपीठ ने कहा कि सिर्फ सुनी–सुनायी बातों के आधार पर एफआइआर दर्ज की गयी है. ऐसी एफआइआर के आधार पर किसी को अभियुक्त करार देते हुए सजा नहीं सुनायी जा सकती.
खंडपीठ ने कहा कि निचली अदालत में पुलिस द्वारा कोई ठोस साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया, जिसके आधार पर फांसी व उम्रकैद की सजा सुनायी जा सके. इस मामले में खंडपीठ द्वारा 27 जुलाई को सुनवाई की गयी थी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ पटना हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी थी.
अरवल जिले में सोन के किनारे बसे इस गांव में एक दिसंबर, 1997 को प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना के सदस्यों ने 58 दलितों की हत्या कर दी थी. मृतकों में 27 महिलाएं व 16 बच्चे थे. रणवीर सेना ने ग्रामीणों पर माओवादी होने का आरोप लगाया था.
इस नरसंहार को 1992 में माओवादी संगठन द्वारा गया जिले के बारा गांव में किये गये नरसंहार के बदले के रूप में पेश किया गया था. बारा नरसंहार में 37 लोगों की हत्या कर दी गयी थी. लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार की शुरू में सुनवाई जहानाबाद कोर्ट में की जा रही थी, जिसे पटना हाइकोर्ट के निर्देश के बाद 1999 में पटना सिविल कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था.
सात अप्रैल, 2010 को पटना सिविल कोर्ट के अपर न्यायिक दंडाधिकारी विजय कुमार मिश्र ने 16 अभियुक्तों को फांसी की सजा एवं 10 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनायी थी. तब उन्होंने इस मामले को रेयर ऑफ द रेयरेस्ट करार दिया था. सुनवाई के दौरान 46 अभियुक्तों के खिलाफ पुलिस ने चाजर्शीट दाखिल की थी. मामले में 117 गवाहों की गवाही करायी गयी थी.