– प्रभंजय कुमार –
गया : कहते हैं पत्नी ही इनसान की असली छाया होती है. वह पति की लंबी उम्र के लिए इष्ट देव से वर मांगती है. पर, पति ही देसी दारू पी कर पत्नी को पारो व विदेशी शराब पीते डार्लिग कहता है.
साथ जीने–मारने की कसमें खाते हुए फेरे लेता है और दहेज के लिए हत्या व प्रताड़ित कर घर की चौखट से निकाल भी देता है. इस कलयुग में कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के मोहन शर्मा ऐसे पतियों को गुरुवार को आईना दिखा कर रहे थे. वह पितृपक्ष मेले में मिसाल पेश कर रहे थे.
फल्गु की रेत पर बैठ कर पत्नी नेहा की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान व तर्पण कर रहे हैं. माता–पिता व पूर्वजों का पिंडदान करने की परंपरा तो गयाजी में कालांतर से चली आ रही है. देश के कोने–कोने से लाखों लोग पितरों का कर्मकांड कर सुख–समृद्धि का आशीर्वाद मांग रहे हैं, लेकिन 26 वषीय मोहन शर्मा पत्नी की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर रहे थे.
दोनों से खिले फूल तीन वर्ष की बेटी नन्ही के कर्तव्यों को पूरा करने के लिए प्रार्थना कर रहे थे, मन को नहीं भटकने की शक्ति का. मोहन शर्मा कहते हैं कि पांच साल पहले नेहा के घर में पैर रखने के कुछ ही दिनों बाद सारी खुशियां आने लगी. एक जिम है, उसमें आधुनिक यंत्र लग गये. सपने हकीकत में बदलने लगे, लेकिन सालभर पहले गैस से लगी आग की चपेट में आंखें सदा के लिए बंद कर ली.
उसके विचार के सहारे जीने का संकल्प लेने गयाजी आये हैं. मोहन शर्मा कहते हैं कि भले ही लोग लाख कमाते हैं. पर, जो पत्नी के मन को ठेस पहुंचते हैं, वह लखपति नहीं, खाकपति हैं.