पटना: बेऊर जेल से सरगना मोबाइल फोन के माध्यम से अपने गिरोहों को संचालित कर रहे हैं और पुलिस इसे रोक भी नहीं पा रही है. हाल ही में पुलिस ने कई बड़े मामलों का खुलासा किया है, जिससे इसकी पुष्टि होती है. इनमें अपहरण, फिरौती व हत्या जैसी आपराधिक घटनाएं भी शामिल हैं. सवाल यह उठता है कि जेल में ये मोबाइल फोन कैसे व कहां से पहुंच रहे हैं.
कटघरे में जेल प्रशासन
पुलिस टीम जब भी बेऊर जेल में छापेमारी करती है, मोबाइल फोन बरामद होते हैं. वर्ष 2013 में जनवरी से सितंबर तक दो दर्जन से अधिक मोबाइल बरामद किये गये. वहीं 2011 से अगस्त, 2012 तक जेल से 711 मोबाइल फोन बरामद हुए थे.
इन अनक्लेम्ड मोबाइल फोन की आठ दिसंबर, 2012 को नीलामी हुई थी. कड़ी सुरक्षा के बीच इन मोबाइल फोन का जेल के अंदर पहुंचना जेल प्रशासन व सुरक्षाकर्मियों को कटघरे में खड़ा करता है. गौरतलब है कि 2005 में सुरक्षा में तैनात सिपाही उदय चौधरी को जेल के अंदर मोबाइल फोन पहुंचाने के आरोप में पकड़ा गया था. वर्ष 2002 में ही बिहार के बेऊर जेल में सात व मुजफ्फरपुर जेल में पांच मोबाइल फोन जैमर लगाने का निर्णय लिया गया था. वर्ष 2005 में इसका ट्रायल भी किया गया, लेकिन जैमर इतना पावरफुल था कि आसपास के इलाकों में भी इसका असर देखा गया और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण इसके प्रभाव से बंद हो गये.