पटना: जहानाबाद के काको ब्लॉक की मुखिया रेखा देवी हों या इसी ब्लॉक की सुलेमानपुर पंचायत के योगेंद्र पासवान, कुछ साल पहले तक ये पाई-पाई के मुहताज थे, पर आज जब धूल उड़ाती उनकी स्कॉर्पियो चलती है, तो लोगों के पांव थम जाते हैं. गोपालगंज के कुचायकोट ब्लॉक के एक मुखिया पहले दिहाड़ी मजदूरी करतेथे, अब उनके पास महलनुमा मकान और चार चक्का है.
सारण के दिघवारा ब्लॉक के एक मुखिया पत्थर तराशने का काम करते थे. मुखिया बनने के बाद एसयूवी में घूमते हैं. बेगूसराय के मटिहानी ब्लॉक के मुखिया कई प्राइवेट बॉडीगार्डो के साथ घूमते हैं. वैशाली के महुआ ब्लॉक के मुखिया पहले आर्केस्ट्रा में गाड़ी खींचते थे. अब चार चक्का के मालिक हैं. राज्य में ऐसे मुखियाओं की सूची लंबी होती जा रही है, जो तेजी से धनवान हुए हैं या हो रहे हैं.
पश्चिम चंपारण कीदक्षिण पतबिरवा पंचायत के मुखिया सुनील वर्मा और बहुरवा पंचायत की मुखिया अर्चना श्रीवास्तव की संपत्ति देख कर पुलिस की आंखें फटी रह गयी थीं. पुलिस ने जब छापा मारा, तो सुनील वर्मा की संपत्ति 3ः 75 करोड़ रुपये पायी गयी. वर्मा और उनके करीबियों के 14 बैंक खातों की भी पुलिस जांच कर रही है. पुलिस विभाग के सूत्रों के अनुसार वर्मा ने ज्यादातर संपत्ति मुखिया बनने के बाद अíजत की है. अर्चना श्रीवास्तव के पास से बरामद गहनों की कीमत 31 लाख थी. नालंदा के परशुराज पंचायत की मुखिया कुमारी तृप्ति के ठिकाने से आर्थिक अपराध यूनिट ने 15 लाख रुपये बरामद किये थे. ये छापे मई-जून में मारे गये थे. इस मामले में सबसे ताज उदाहरण है पूर्वी चंपारण के फेनहारा प्रखंड के पंचायत सचिव सुरेंद्र प्रसाद यादव का, उन्हें 25 सितंबर को 50 हजार रुपए घूस लेते गिरफ्तार किया गया.
यह मूल्यांकन का विषय है कि त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था गांवों की सूरत किस रफ्तार से बदल रही है, पर इसमें कोई शक नहीं कि बहुत सारे जन प्रतिनिधियों की कमाई की स्पीड बिना ब्रेक के बढ़ रही है. आर्थिक अपराध यूनिट के सूत्रों ने बताया कि अलग-अलग जिलों से मुखियाओं के भ्रष्टाचार के बारे में ढेरों शिकायतें पहुंची हैं.
-भ्रष्टाचार रोकने का मैकेनिज्म मजबूत कर रहे हैं
पंचायती राज विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यह सच है कि बहुत सारे जन प्रतिनिधियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, मगर इसका अर्थ यह नहीं कि पंचायतों में कोई काम ही नहीं हो रहा है. हम भ्रष्टाचार को रोकने के मैकेनिज्म को और मजबूत कर रहे हैं.
विभाग का दावा अपनी जगह सही हो सकता है, पर बक्सर जिले कीमटकीपुर पंचायत की कहानी लोकतंत्र में राजशाही की कहानी है. वहां के मुखिया हरेंद्र सिंह ने अपने फॉर्म हाउस में ही वाच टावर बनवा लिया है. बक्सर के एसडीपीओ एस नोमानी ने प्रभात खबर से कहा कि हरेंद्र सिंह ने अवैध तरीके से हाथी पाल रखा था. पुलिस उस हाथी को ले आयी थी. हरेंद्र सिंह की एक मामले में कुर्की भी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि वाच टावर बनवाने के बारे में वह जांच करायेंगे.
-कुछ गलत लोगों के चलते बदनाम हो रहे हैं सभी मुखिया
मखदुमपुर ब्लॉक की रामपुर पंचायत के मुखिया अवधेश शर्मा कहते हैं कि कुछ जन प्रतिनिधियों के गलत कामों के चलते सभी मुखिया बदनाम हो रहे हैं. हम मानते हैं कि कुछ जन प्रतिनिधियों में कमी है. लेकिन जितना वे करते हैं, उससे ज्यादा उन्हें बदनाम किया जाता है. इस बदनामी में अधिकारियों की भूमिका भी कम नहीं है.