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घेराव, मशाल जुलूस नक्सलियों का बढ़ता मनोबल या बौखलाहट

छपरा अमनौर थाने पर ग्रामीणों द्वारा घेराव, प्रदर्शन व नक्सलियों के हरवे हथियार के साथ मशाल जुलूस की चर्चा आम लोगों में है. गत 21 सितंबर से पुलिस के द्वारा नक्सलियों के खिलाफ कॉम्बिंग ऑपरेशन, एलआरपी आदि अभियान के बावजूद नक्सलियों के समर्थन में ग्रामीणों का थाना घेराव कार्यक्रम तथा मशाल जुलूस उनके बढ़ते मनोबल […]

छपरा

अमनौर थाने पर ग्रामीणों द्वारा घेराव, प्रदर्शन व नक्सलियों के हरवे हथियार के साथ मशाल जुलूस की चर्चा आम लोगों में है. गत 21 सितंबर से पुलिस के द्वारा नक्सलियों के खिलाफ कॉम्बिंग ऑपरेशन, एलआरपी आदि अभियान के बावजूद नक्सलियों के समर्थन में ग्रामीणों का थाना घेराव कार्यक्रम तथा मशाल जुलूस उनके बढ़ते मनोबल का परिचायक है या बौखलाहट का! पूर्व में दर्जन भर नक्सली घटनाओं को अंजाम देनेवाले नक्सली संगठनों के विरुद्ध पुलिस के द्वारा 21 सितंबर को चलाये गये अभियान में कम-से-कम 1300 जवानों व पदाधिकारियों ने पूरे दिन क्षेत्र में गुप्त सूचना के आधार पर ऑपरेशन चलाया. हालांकि, इस दौरान पांच को हिरासत में लिया गया, जिन्हें बाद में नक्सली नहीं होने के कारण छोड़ने की बात एसपी कहते हैं. पुन: 26 तथा 27 सितंबर को भी एसएसबी के सैकड़ों जवानों व पदाधिकारियों ने एलआरपी किया. हालांकि इस दौरान तीन को हिरासत में लिया गया, जिसमें पूछताछ के बाद एकमात्र नक्सली दारोगा राम को एसटीएफ की टीम ने गिरफ्तार किया, जो परसा थाना क्षेत्र के श्रीरामपुर गांव का है. पूरे ऑपरेशन को दौरान पानापुर, तरैया, अमनौर, परसा के दियारा क्षेत्र में पुलिस के ऑपरेशन के बाद कुछ लोग इस घटना को नक्सलियों की खलबली बताते हैं, तो कई उनके मनोबल बढ़ने की बात कहते हैं. आसपास के गांवों के लोगों का कहना है कि भले ही नक्सली क्षेत्र में एसएसबी की टीम घूमती रही, परंतु नक्सलियों ने पानापुर थाना क्षेत्र के सारंगपुर गांव से सशस्त्र जुलूस निकाला, जो बसहिया बाजार, उभवा, खजुली, मोड़वा होते पानापुर थाने से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित महम्मदपुर बाजार पर पहुंचा. इस दौरान नक्सलियों ने जम कर नारेबाजी की. मशाल जुलूस के दौरान जम कर हथियारों का प्रदर्शन पुरुष व महिला नक्सलियों ने किया. नक्सलियों द्वारा घंटों निकाले गये मशाल जुलूस व प्रदर्शन के बावजूद एसएसबी व पुलिस की टीम मौके पर नहीं पहुंच पायी. घंटों चलें इस कार्यक्रम के बावजूद पुलिस के नहीं पहुंचने व पहुंचने के बाद भी पानापुर थाने पर ही स्थिर रहने की घटना को लेकर आसपास के लोग पुलिस की इस मामले में उदासीनता व सूचना क्रांति के इस युग में सूचना तंत्र की विफलता मानते हैं. लोगों का कहना है कि पुलिस ने उनका पीछा करना भी जरूरी नहीं समझा. नक्सलग्रस्त क्षेत्रों के आम लोगों के मन में पुलिस व नक्सलियों के बीच चल रही लुका-छिपी के खेल को लेकर भय व्याप्त है. ऐसी स्थिति में ग्रामीण भविष्य में अनहोनी की आशंका से दहशत में है.

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