पटना: एक शिक्षित लड़की का अर्थ है एक शिक्षित परिवार. अरसे बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब ब्लॉग पर आये, तो पूर्व की तरह ही बालिका शिक्षा पर खुद को केंद्रित रखा. बालिका को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से चलायी जा रही योजनाओं के बारे में सीएम ने ब्लॉग पर विस्तार से लिखा. अपनी पहली पंक्ति में कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्से में रहनेवाले लोगों के साथ विचार साझा करना अच्छा लगता है. इसके बाद उन्होंने स्वतंत्रता दिवस में लड़कियों को छात्रवृत्ति देने की योजना को विस्तार से बताया है.
छात्रवृत्ति में भेदभाव नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर गांधी मैदान से सरकारी स्कूलों मे पढ़नेवाली पहली से दसवीं तक की सभी बालिकाओं के लिए छात्रवृत्ति की घोषणा की. इसके पीछे मूल उद्देश्य यह रहा कि इसमें जाति, पंथ, समुदाय या आर्थिक पृष्ठभूमि से कोई लेना-देना नहीं है. समाज के सभी वर्ग की छात्रओं को इसका लाभ मिलेगा. लाभ पाने की एक ही शर्त है कि छात्र सरकारी स्कूल में पढ़ रही हो.
यह क्रांतिकारी कदम है. इससे प्रदेश में महिला शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा. मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना शुरू की गयी और नामांकन के समय नकद दिया गया. पहली से आठवीं तक की छात्रओं को यह राशि दी जा रही है. बालिका साइकिल योजना 2007-08 में शुरू हुई थी. यह योजना सामाजिक परिवर्तन का कारक बना. इसके बाद स्कूल छोड़नेवाली लड़कियों की संख्या कम हो गयी. वर्ष 2012-13 में 4,92,899 लड़कियों सहित 9,61,109 छात्रों को इससे फायदा हुआ. योजना शुरू होने के समय मात्र 1,56,092 लड़कियों को लाभ मिला था. पिछले वित्तीय वर्ष तक 47,44,966 छात्रों को लाभ मिला, जिनमें 24,57,539 लड़कियां हैं.
खुलेंगे एक हजार हाइस्कूल
मुख्यमंत्री ने कहा कि बालिका साइकिल योजना ने लड़कियों में विश्वास की भावना जगायी. इसी के मद्देनजर छात्रवृत्ति योजना के जरिये लड़कियों को पढ़ाई-लिखाई को शुरू करने का निर्णय लिया गया. यह परिवारों को अपनी बेटियों को स्कूल भेजने में सहायक होगी. सामाजिक परिवर्तन में उत्प्रेरक होगी. मेरा शुरू से ही मानना रहा है कि बालिका शिक्षित करने से पूरे परिवार को शिक्षित किया जा सकता है. बिहार की जनसंख्या 25 प्रतिशत बढ़ी है. बिहार में प्रजनन दर 3.6 है. दसवीं पास महिला में यह दो व इंटर पास होने पर राष्ट्रीय औसत 1.7 से कम 1.6 हो जाता है. स्पष्ट है कि शिक्षा से इन बातों की समझ पैदा होती है. इसलिए, हर पंचायत में एक हाइस्कूल खोलने का निर्णय लिया गया है.
अभी 4500 हाइस्कूलों की कमी है. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2013-14 में एक हजार हाइस्कूल खोले जायेंगे. शिक्षा से स्त्री-पुरुष समानता, बाल विवाह सहित कई सामाजिक समस्याओं का समाधान हो सकता है. बिहार में पुरुष व स्त्री का अनुपात एक हजार की तुलना में 916 है. बालिका के शिक्षित होने पर इस औसत में भी वृद्धि होगी. आनेवाले वर्षो में सरकार की इन योजनाओं का असर दिखेगा. सामाजिक क्रांति लाने में स्त्री शिक्षा सबसे प्रभावी साबित होगी. उम्मीद है कि अधिक-से-अधिक लड़कियां नयी योजना का लाभ उठायेंगी और स्कूल में प्रवेश कर शिक्षा प्राप्त करेंगी.