पटना: विश्व की तीन बड़ी तस्करी में एक मानव व्यापार भी है. साउथ एशिया के देशों में लगभग 10 मिलियन डॉलर का व्यापार मानव तस्करी से हो रहा है. यह साइलेंट क्राइम है. इसके प्रति लोगों को जागरूक होना होगा. उक्त बातें एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में एक्शन अगेंस्ट ट्रैफिकिंग एंड सेक्सउल एक्सपोलाइटेशन ऑफ चिल्ड्रेन की ओर से मानव तस्करी विषय पर आयोजित कार्यशाला में उभरीं. पटना प्रक्षेत्र के आइजी सुशील खोपड़े ने कहा कि प्रति वर्ष 6 से 8 लाख लोग सीमावर्ती क्षेत्रों से बाहर जा रहे हैं.
महिलाएं देह व्यापार में संलिप्त हो रही हैं. बच्चों का इस्तेमाल बंधुआ मजदूर में हो रहा है. इसकी रोक थाम व पुनर्वास पर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसके लिए इस कार्य में लगे दलालों की संपत्ति जब्त की जाये. मनी लाउंड्री एक्ट के तहत कार्य किया जाये. इससे इस पर काफी हद तक रोक लग सकेगा.
सिटी एसपी जयंत कांत ने कहा कि लिंगानुपात में आयी कमी भी इसका कारण है. लड़कियां अन्य राज्यों में शादी के लिए बेची जा रही हैं. इसके लिए शिक्षा,जागरूकता व पुनर्वास के लिए काम करने की जरूरत है. एसपी अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस इसके प्रति संवेदनशील है, लेकिन इसके लिए सरकारी व गैरसरकारी संगठनों को मिल कर काम करना होगा. पूर्व एडीजीपी राजवर्धन शर्मा ने कहा कि दिल्ली, बॉम्बे व कोलकाता में 10 मिलियन लोग मानव तस्करी के शिकार हैं. कार्यक्रम में विभिन्न थानों से आये पुलिस अधिकारियों के अलावा एसटेक के राज्य समन्वयक वाइके गौतम समेत वर्ल्ड वीजन के सर्लिन नायक, प्रशांत व दीप शिखा समेत कई गैरसरकारी संगठन के लोग उपस्थित थे.
इन पर हुई चर्चा
– पुलिस मिल कर करे काम
– थानों में लगे बोर्ड
– बच्चों से जुड़ी जानकारी दर्ज हो
– होम व वेलफेयर कमेटी की सूचना मिले
– संस्थाओं की जानकारी व नंबर उपलब्ध हो