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भटकल मामले में पुलिस ने निभाया दायित्व

पटना: आतंकवादी यासीन भटकल की गिरफ्तारी के मामले में विपक्ष की आलोचना पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को खुल कर बोले. उन्होंने विपक्ष में सत्ता से हटने की बेचैनी बताते हुए कहा कि पुलिस ने अपने वैधानिक दायित्वों का निर्वहन किया. यह भी कहा कि अगर अगर डीजीपी की ओर से प्रस्ताव आया, तो भटकल […]

पटना: आतंकवादी यासीन भटकल की गिरफ्तारी के मामले में विपक्ष की आलोचना पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को खुल कर बोले. उन्होंने विपक्ष में सत्ता से हटने की बेचैनी बताते हुए कहा कि पुलिस ने अपने वैधानिक दायित्वों का निर्वहन किया. यह भी कहा कि अगर अगर डीजीपी की ओर से प्रस्ताव आया, तो भटकल की गिरफ्तारी में लगी टीम को पुरस्कृत करने पर भी विचार किया जायेगा.

उन्होंने कहा कि सरकार पुलिस का प्रवक्ता नहीं होती है. जहां तक भटकल की गिरफ्तारी का सवाल है, तो आइबी की सूचना पर केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिल कर गिरफ्तारी की गयी. इसमें सभी वैधानिक नियम-कानून का पालन किया गया. विपक्ष के बयान को भी आधार बनाएं, तो इसमें भी पुलिस का बड़प्पन दिखता है. आइबी की सूचना मिलने पर पुलिस ने केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिल कर वैधानिक दायित्व को निर्वहन किया. अगर हम गिरफ्तारी का श्रेय लेते, तो कहा जाता कि अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. श्रेय नहीं लेने पर आलोचना की जा रही है. पुलिस सरकार द्वारा दिये गये अधिकार के अनुसार काम करती है.हो रहीं नासमझी की बातें

जनता दरबार के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि आजकल नया दौर चला पड़ा है. देश भर में नासमझी की बातें हो रही हैं. हर बात पर चीं-चीं-चें-चें हो रहा है. उनका इशारा ट्विटर की ओर था. दरअसल, सत्ता से हटने के बाद लोग ज्ञानी बन गये हैं. हम वैसे ज्ञानियों का उत्तर नहीं दे सकते. हम तो शुरू से ही चैन से नहीं बैठे, काम करते रहे. लोग महीने में 12 दिन बाहर ही रहते थे. वीकेंड-सप्ताहांत मनाया करते थे. अब सत्ता में नहीं हैं, तो बेचैन हो रहे हैं.

धरना में भी कुरसी का मोह
कहा कि सत्ता से हटने के बाद कुछ लोग बेरोजगार हो गये हैं. जिस रास्ते पर चल पड़े हैं, आगे भी बेरोजगार ही रहेंगे. कुरसी का मोह तो धरना में भी दिखता है. वहां भी कुरसी पर बैठते हैं.

देश में आर्थिक मंदी
देश में आर्थिक मंदी स्वीकार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने इसे स्वीकारा है और आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिए. अफगानिस्तान के संग्रहालय से गौतम बुद्ध का भिक्षापात-कटोरा लाया जाना सराहनीय कदम है.

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