पटना : यासीन भटकल को लेकर भाजपा-जदयू के बीच तलवारें अब भी तनी हैं. भाजपा विधान मंडल दल के नेता सुशील मोदी ने कहा कि भटकल की गिरफ्तारी के बाद उसे रिमांड पर लेने और पूछताछ करने के मुद्दे पर सरकार आम लोगों को भटका रही है.
सरकार जब यह दावा कर रही है कि भटकल से मोतिहारी व बेतिया में पूछताछ के दौरान वहां के एसपी मौजूद थे, तो उसे यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे केवल मौजूद थे या उन्होंने पूछताछ भी की?
तरह-तरह के बयान दे रही सरकार
मोदी ने सरकार पर आतंकवादियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया. उन्होंने पूछा कि सरकार भटकल को लेकर तरह-तरह के बहाने क्यों दे रही है? भटकल की गिरफ्तारी को केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे जहां बड़ी मछली का पकड़ा जाना करार दे रहे हैं, वहीं बिहार सरकार कह रही है कि पता नहीं यह बड़ी मछली है या छोटी!
आवेदन देकर पूछताछ हो सकती थी
यदि भटकल के खिलाफ बिहार में कोई एफआइआर दर्ज नहीं भी था, तो क्या इतने संगीन आरोपों की सूरत में बिहार पुलिस कोर्ट में आवेदन देकर पूछताछ के लिए उसे रिमांड पर लेने का आग्रह नहीं कर सकती थी? 2005 में मुजफ्फरपुर के डॉ अजय के नर्सिग होम में इलाज करा रहे एक दर्जन नेपाली माओवादियों को बिहार पुलिस ने गिरफ्तार कर एक साल तक यहां की जेल में नहीं रखा था क्या? क्या भटकल के खिलाफ भी यहां मामला दर्ज नहीं किया जा सकता था?