मोतिहारी : बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल थाना क्षेत्र से पिछले गुरुवार को इंडियन मुजाहिदीन के सह संस्थापक यासीन भटकल और उसके एक अन्य सहयोगी की गिरफ्तारी ने भारत-नेपाल सीमा से बेरोक-टोक लोगों का आना जाना तथा सामानों की आवाजाही को उजागर किया है.
बिहार के पूर्वी चंपारण जिला की करीब 110 किलोमीटर सीमा पडोसी देश नेपाल से सटी है और इस सीमा पर किसी प्रकार की बाड नहीं लगी है. रक्सौल के नहर चौक के समीप से गत 29 अगस्त को भटकल और उसके सहयोगी असदुल्लाह अख्तर उर्फ हड्डी की गिरफ्तारी ने उनके नेपाल और भारत बिना रोक-टोक आवाजाही को उजागर किया है. सशस्त्र सीमा बल की 13वीं बटालियन के समादेष्टा विक्रम सिंह ठाकुर ने बताया कि सीमा पर लोगों के बेरोक-टोक आवाजाही से सही मायने में समस्याएं उत्पन्न होती है.
उन्होंने बताया कि बिहार से नेपाल की 750 किलोमीटर सीमा सटी है और भारत से नेपाल आने-जाने के लिए किसी पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज की आवश्यकता नहीं पडती है. उन्होंने बताया कि प्रत्येक तीन महीने पर जिला स्तर समन्वय समिति की बैठक में मुख्य रुप से अवैध जमीन कब्जा और सीमा पर लगे खंभे पर चर्चा की जाती है, लेकिन उसके बावजूद सीमा पर लगे कई खंभे क्षतिग्रस्त हैं.
दोनों देशों के बीच बेरोक-टोक आवाजाही और लोगों के मेलजोल के कारण सीमा के दोनों तरफ के लोगों के बीच विवाह की राह आसान कर दी हैं क्योंकि नये शादीशुदा दंपत्ति दोनों देशों में से कहीं भी बिना किसी दस्तावेज के वास कर सकते हैं. मोतिहारी के निवासी और पुरोहित आचार्य शत्रुघ्न पांडेय ने बताया कि शादी के मुहुर्त के समय वे एक महीने के दौरान ऐसी 12 से 15 शादियां कराते हैं.
शादी कराने वाले एक अन्य पुरोहित सुनील कुमार उपाध्याय ने बताया कि भारत एवं नेपाल में वे ऐसी कई शादियों में शिरकत कर चुके हैं. पूर्वी चंपारण जिला के समाजसेवी बच्चा मिश्र ने बताया कि वीरगंज में गोपाल मंडली, मारवाडी धर्मशाला और कलवर स्थान दोनों देशों के लोगों के लिए पसंदीदा स्थान हैं और ऐसे दंपत्तियों में से कई को दोनों देशों की नागरिकता हासिल हैं.
रक्सौल के दूसरी तरफ नेपाल का वीरगंज जिला है और स्थानीय लोगों का कहना है कि इन दोनों स्थानों से प्रतिदिन बेरोक-टोक लोग आते-जाते और सामानों को ले जाते और लाते हैं जिसमें अनाज, कपडे और दैनिक इस्तेमाल की अन्य वस्तुएं शामिल हैं. मोतिहारी और रक्सौल के कई लोगों की दुकानें और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान वीरगंज में हैं. अस्सी और नब्बे के दशक में वीरगंज जींस से बने कपडों का एक बडा बाजार के रुप में चर्चित रहा था.
स्थानीय लोग बताते हैं कि रक्सौल से वीरगंज जाने के लिए लोगों को मात्र चार किलोमीटर की दूरी तय करनी पडती है. रक्सौल से वीरगंज जाने के लिए साईकिल रिक्शा से लोगों को 35 रुपये और ऑटोरिक्शा से जाने के लिए प्रति व्यक्ति 12 रुपये खर्च करने पडते हैं.