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विवाद बढ़ा, तो चला जायेगा आइआइटी

पटना: बिहटा में किसानों के आंदोलन से आइआइटी परिसर का निर्माण रुक गया है. एक परियोजना, एक रेट की मांग को लेकर वे किसान पिछले तीन दिनों से अनशन व धरना पर हैं, जिनकी जमीन इस परियोजना के लिए अधिगृहीत की गयी है. उधर, निर्माण कार्य ठप होने से आइआइटी, पटना का प्रशासन चिंतित है. […]

पटना: बिहटा में किसानों के आंदोलन से आइआइटी परिसर का निर्माण रुक गया है. एक परियोजना, एक रेट की मांग को लेकर वे किसान पिछले तीन दिनों से अनशन व धरना पर हैं, जिनकी जमीन इस परियोजना के लिए अधिगृहीत की गयी है.

उधर, निर्माण कार्य ठप होने से आइआइटी, पटना का प्रशासन चिंतित है. आइआइटी के निदेशक डॉ एके भौमिक का कहना है कि अगर यही स्थिति रही, तो आइआइटी, पटना का हाल आइआइएम, रांची जैसा हो जायेगा. आइआइएम रांची के कैंपस को लेकर किसानों व प्रशासन के बीच लंबे समय तक विवाद चलता रहा था. श्री भौमिक ने कहा कि विवाद बढ़ने पर केंद्र सरकार आइआइटी, पटना को दूसरे राज्य में शिफ्ट करने का निर्णय भी ले सकती है.

मौजूदा स्थिति में केंद्र सरकार से फंड रिलीज कराने में मुश्किल होगी, क्योंकि जब तक स्पॉट पर काम नहीं होगा, केंद्र सरकार अगली किस्त जारी नहीं करेगी. निर्माण कार्य में लगी शपोरजी पॉलोजी कंस्ट्रक्शन कंपनी को निर्धारित समय में काम पूरा करना संभव नहीं होगा. ऐसे में कंपनी अपना हाथ खींच सकती है. दोबारा विज्ञापन और टेंडर निकालने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. आखिरकार इसका नुकसान विद्यार्थियों को होगा. फिलहाल आइआइटी का कैंपस पटना में पॉलिटेक्निक के भवन में चल रहा है. किसानों को समझना चाहिए कि इस परियोजना के पूरा हो जाने के बाद बिहटा का भी विकास होगा. इस सेंटर को दूसरे फेज में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने की योजना है.

डीएम से मांगी गयी सुरक्षा : आइआइटी के रजिस्ट्रार डॉ सुभाष पांडेय ने कहा कि काफी मशक्कत के बाद बिहार में आइआइटी निर्माण की अनुमति मिली है. ऐसे में काम रुकवाना राष्ट्रीय क्षति है. किसानों को यह बात समझनी चाहिए. ताजा घटनाक्रम के बाद डीएम को लिखा गया है. उसके बाद सुरक्षा बढ़ी है. लेकिन, मजदूरों में विश्वास बना रहे, इसके लिए पुलिस को लगातार चौकसी रखनी होगी और किसानों का भी सहयोग अपेक्षित है.

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