– मिथिलेश–
एफएसएल के वैज्ञानिकों ने की 42 नमूनों की जांच
आखिर 50 वैज्ञानिकों की जांच से अब यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि सूबे के स्कूलों के चापाकलों में जहर मिलाने की बातें कोरी अफवाह थीं.
अफवाह के कारण सैकड़ों बच्चे बीमार पड़े. डॉक्टर इसे ‘देखा–देखी ’ बीमार होना बताते हैं. सरकार अब बंद किये गये चापाकलों को जल्द ही खोलने का निर्णय लेगी.
पटना : राज्य में विभिन्न इलाकों से चापाकल में जहर मिलाने की घटनाएं अफवाह साबित हुई हैं.शक के कारण एक व्यक्ति की पीट– पीट कर हत्या कर दी गयी. दो युवक जेल की हवा खा रहे हैं. पांच सौ बच्चे बीमार हुए, पर फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी ने शुक्रवार को जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी है, उसमें चापाकलों से लिये गये पानी के नमूने में कोई जानलेवा केमिकल या रसायन नहीं मिलने की बात कही गयी है. पानी की जांच में शामिल 50 वैज्ञानिकों की टीम को आरंभिक दो नमूनों में जहरीला पदार्थ होने की रिपोर्ट मिली थी, लेकिन यह जानलेवा नहीं था. अंतिम जांच में कोई भी नमूना जहरीला नहीं मिल पाया. चापकलों में जहर होने की अफवाह फैला कर लोगों में भय का माहौल पैदा किया गया. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक अब जांच की दिशा साजिश रचने वालों की पहचान की ओर मुड़ेगी.
सीआइडी ने अपनी रिपोर्ट शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उपलब्ध करायी है. जल्द ही सरकार बंद पड़े चापाकलों से पानी पीने पर लगा प्रतिबंध भी हटा लेगी. सारण के मशरक में 16 जुलाई को मिड डे मील चापाकल सील, घर से पानी लेकर स्कूल आ रहे बच्चे–पेज 11 खाने से 23 बच्चों की मौत हो गयी थी.
इसके बाद विभिन्न जिलों में चापाकल में जहर मिलाने की 42 घटनाएं सामने आयीं. आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन चापाकलों को जहरीला पानी क ी आशंका पर सील किया गया है, आने वाले दिनों में प्रतिबंध हटा लिया जायेगा. सीआइडी रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएसएल के वैज्ञानिकों ने 42 चापाकलों के पानी के नमूनों की जांच की. इनमें एक को छह बार अलग–अलग तरीके से जांचा गया. 15 दिनों तक वैज्ञानिकों की टीम ने पानी के नमूने में स्वास्थ्य की दृष्टि से नुकसानदेह तत्वों की पड़ताल की.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर पानी के नमूने और इससे जुड़े सभी घटनाक्रमों की गहन समीक्षा की गयी है. समीक्षा में जिला पुलिस बल से प्राप्त रिपोर्ट एवं मेडिकल रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई.
क्यों बीमार पड़े बच्चे
शेयर्ड सिम्प्टम : चापाकल के पानी में जहर तो नहीं मिला, फिर भी बच्चे बीमार हुए. इस बाबत मनोचिकित्सक डॉ विनय कुमार बताते हैं कि यह शेयर्ड सिम्प्टम है. अगर किसी बच्चे की तबीयत पहले से खराब है और पानी पीने से उसे उल्टी होने लगती है, तो देखा–देखी कई बच्चे उल्टी करने लगते हैं.
यह मास हिस्टीरिया का भी रूप ले सकता है. यह किसी के साथ हो सकता है. ऐसी घटना के बादलोग पानी में जहर होने की अफवाह फैला देते हैं. डॉ कुमार ने बताया कि अफवाह फैलानेवाले सिर्फ शरारती तत्व हैं. लेकिन, यह बड़े पैमाने पर हो रहा है, इसलिए इसकी जांच की जानी चाहिए.
पहले भेड़िया आया–भेड़िया आया अब चापाकल से जहर आया
कौशलेंद्र रमण (पटना) : स्कूल में गड़ेरिये की कहानी पढ़ाई जाती थी. शायद आज भी पढ़ाई जाती हो. गड़ेरिया जंगल में भेड़ चराने जाता था और सिर्फ शरारत करने के लिए चिल्लाने लगता था–भेड़िया आया, भेड़िया आया.
उसकी आवाज सुन कर लोग दौड़े चले आते, जिन्हें देख कर वह हंसने लगता. यह क्रम कई दिनों तक चला. इसके बाद लोगों का उस पर से भरोसा उठ गया और उन्होंने आना छोड़ दिया. इसके आगे क्या हुआ, सभी जानते होंगे. यहां इस कहानी के अंश को देने का सिर्फ इतना ही मतलब है कि ऐसी ही अफवाह फैला कर मजा लेने की आदत से आज आदमी का आदमी पर से विश्वास उठने लगा है.
यह भरोसे के टूटने का समय है. कभी मुंहनोचवा, तो कभी ब्लेडमार की अफवाह फैलायी जाती रही है, लेकिन पकड़ में कोई नहीं आता. हां, गड़ेरिये की तरह अफवाह फैलानेवाले जरूर हंसते होंगे.
इसी कड़ी में ताजा उदाहरण है चापाकल में जहर मिलाने की अफवाह. छपरा के गंडामन स्कूल में 16 जुलाई को हुए मिड डे मील हादसे के बाद से चापाकल में जहर मिलाने की अफवाह ने जोर पकड़ा. सूबे कई जिले से चापाकल में जहर मिलाने की घटना की खबर आयी. पानी पीने के बाद कई बच्चे बीमार भी पड़े. लेकिन, जांच में किसी भी चापाकल के पानी में जहर नहीं मिला.
इस मामले में सबसे रोचक घटना है बक्सर जिले के सिमरी प्रखंड का. 26 जुलाई को इस प्रखंड के छोटका राजपुर स्थित मध्य विद्यालय में चापाकल में जहर डालने की खबर फैली. जांच करने एसडीओ समेत वरीय अधिकारी पहुंचे. उसी चापाकल से एसडीओ प्रमोद कुमार सिंह व अन्य अधिकारियों ने पानी पीकर इस खबर को अफवाह साबित कर दिया.
इसी तरह पानी में जहर मिलाने की अफवाह की दूसरी रोचक घटना छपरा के परसा प्रखंड में हुई.
सात अगस्त को प्रखंड के बभनगांवा मध्य विद्यालय के पास रात करीब 10 बजे ग्रामीणों ने एक युवक को पकड़ कर पीट दिया. ग्रामीणों को आशंका थी कि युवक चापाकल में जहर डालने आया था. पुलिस ने जब जांच की, तो पता चला कि युवक अपनी प्रेमिका से मोबाइल पर बात करने के लिए वहां आया और छत पर बैठ कर मोबाइल पर बात की. जब वह छत से उतर कर जाने लगा, तभी ग्रामीणों के हाथ आ गया.
–गांधी के मॉडल से समाधान संभव
शरारती तत्वों से निबटने के सवाल पर डॉ कुमार ने कहा कि ऐसे लोगों से लड़ने की सीख बहुत पहले ही बापू ने दिये हैं. गांधी के सामुदायिक साङोदारी मॉडल में इस समस्या का समाधान है.
लेकिन, इसके लिए गांव के लोगों को ही जागना होगा. उन्हें यह समझना होगा कि स्कूल उनका है और वहां की हर चीज उनकी है. मिड डे मील से लेकर चापाकल तक की निगरानी के लिए गांववालों को अपने स्तर से काम करना होगा. हर चीज सरकार के भरोसे छोड़ना उचित नहीं है, क्योंकि हर जगह सरकार नहीं पहुंच सकती है. इससे मिड डे मील जैसी योजनाओं में स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार में भी कमी आयेगी.