!अंजनी सिंह!!
पटना: बिहार को विशेष दर्जा दिए जाने की अपनी मांग को दोहराते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि उन्हें राज्यों के पिछड़ेपन को मापने के मकसद से मापदंड स्थापित करने के लिए केंद्र द्वारा बनायी गयी समिति की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार के फैसले का इंतजार है. नीतीश कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हम राज्यों के पिछड़ेपन को निर्धारित करने के लिए नए मापदंड बनाने संबंधी विशेष समिति पर नजर रखे हुए हैं जो जल्द ही केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपने जा रही है.’’ कुमार ने कहा, ‘‘ देखते हैं कि वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन की अध्यक्षता वाली विशेष समिति की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार क्या फैसला करती है.’’ छह सदस्यीय विशेष समिति की कल नयी दिल्ली में बैठक हुई थी और बताया जाता है कि उसने अपनी रिपोर्ट में राज्यों के पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए 11 सूत्रीय मापदंडों की सिफारिश की है. रिपोर्ट को इस माह के अंत में केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा.
विशेष दर्जे की बिहार की मांग को राज्य का उचित अधिकार बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कुछ समय से इस मुद्दे को उठा रही है और इस संबंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक ज्ञापन भी सौंपा गया है.उन्होंने बताया कि इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने राज्यों के पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए नए मापदंड बनाने के मकसद से राजन की अगुवाई में एक विशेष समिति का गठन किया था. उन्होंने साथ ही कहा कि उनकी पार्टी जनता दल यू ने विशेष दर्जे की मांग पर दबाव बनाने के लिए पटना और नई दिल्ली में ‘‘अधिकार’’ रैली की थी.
क्या हैं 11 मानक : कमेटी के सदस्य शैबाल गुप्ता ने बताया कि कुल 11 मानदंड बनाये गये है. इसमें प्रति व्यक्ति आय- व्यय, गरीबी औसत, मानव सूचकांक आदि प्रमुख है. उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट रिपोर्ट सबमिट हुई है. पर फाइनलाइज नहीं हुआ है. फाइनल करने में 10 रोज लगेंगे.
चार सितंबर से पहले फैसले की उम्मीद: केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 11 मई के पटना दौरे में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने के संबंध में विशेष कमेटी के गठन की घोषणा की थी. इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने पिछड़ेपन को निर्धारित करने के लिए विशेष कमेटी का गठन किया. कमेटी के चेयरमैन रघुराम राजन का हाल ही में रिजर्व बैंक का गर्वनर नियुक्त किया गया है. वह चार सितंबर को रिजर्व बैंक के गर्वनर का पदभार संभालने वाले है. इसलिए उम्मीद जतायी जा रही है कि इस विषय में चार सितंबर से पहले किसी तरह का फैसला ले लिया जाये. हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम से मुलाकात को भी इससे जोड़ कर देखा जा रहा है. चूंकि किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना एक राजनीतिक मुद्दा भी है, इसलिए इसमें उन सभी बातों को ध्यान में रखकर घोषणा किये जाने की बात बतायी जा रही है. पिछड़ेपन के मानदंड पर कौन सा राज्य किस पायदान पर खड़ा है यह बना लिया गया है. ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि जो राज्य मानदंड के आधार पर सबसे नीचे होगा उसे विशेष राज्य का दर्जा पहले दिया जायेगा.
क्या है विशेष राज्य का दर्जा
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल तय करता है कि किस राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिलना है.
इसके लाभ : विशेष राज्य का दर्जा मिला तो
1. राज्य में निवेश करनेवाले निवेशकों को अगले सात साल तक आयकर, कस्टम और एक्साइज कर में पूरी तरह छूट.
2. केंद्रीय योजनाओं में राज्य की हिस्सेदारी 10} देनी होगी. अभी 35 फीसदी.
3. राज्यांश की बचत और इससे विकास की नयी योजनाएं आरंभ हो सकेंगी.
4. राज्य की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए केंद्रीय सहयोग मिलेगा.