पटना: मानव दिवसों का सृजन न करनेवाले पंचायतों से मनरेगा का काम छिन जायेगा. जिन पंचायतों ने मनरेगा में सालाना 10 लाख रुपये से कम खर्च किया है, उनके पास से भी मनरेगा का काम छीन लिया जायेगा. ऐसी पंचायतों में मनरेगा का काम कराने की वैकल्पिक व्यवस्था की जायेगी. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के ऊपर यह जिम्मेवारी है कि वह ऐसे पंचायतों का काम स्वयं सहायता समूह, पंचायत समिति या जिला परिषद के माध्यम से भी करा सकते हैं.
ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्र ने मंगलवार को बिहार रोजगार गारंटी परिषद की समीक्षा बैठक में बताया कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में ऐसी 32 पंचायतों को चिह्न्ति किया गया है. पंचायतों द्वारा मनरेगा योजना में औसतन 20 लाख रुपये खर्च किया जा रहा है. इस आधार पर अगर किसी पंचायत ने 10 लाख रुपये से कम खर्च किया है, तो वहां वैकल्पिक व्यवस्था किया जायेगा. गारंटी परिषद के सदस्य व जिला परिषद अध्यक्षों को बताया गया कि हर तीन माह में पंचायत समिति को मनरेगा की निगरानी व अनुश्रवण करने के लिए कहा गया है. जिला परिषद अध्यक्ष ऐसे बैठकों को आहूत कर सकते हैं. उनके निर्देश पर बैठकों का आयोजन नहीं किये जाने पर उसकी शिकायत विभाग को की जा सकती है.
हर पंचायत में होंगे खेल मैदान
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अमृत लाल मीणा ने बताया कि मनरेगा योजना से हर पंचायत में आंगनबाड़ी केंद्र व खेल के मैदान का विकास किया जाना है. खेल के मैदान के लिए सार्वजनिक या हाइस्कूल के प्ले ग्राउंड का चयन किया जा सकता है. अगर हर साल इस तरह की योजनाओं का चयन होगा, तो पंचायतों में दो-तीन खेल के मैदान तैयार हो जायेंगे. जिला परिषद अध्यक्षों द्वारा मनरेगा में 60 प्रतिशत मजदूरी व 40 फीसदी सामग्री पर खर्च करने को लेकर हो रही परेशानी से मंत्री व सचिव को अवगत कराया. सचिव ने बताया कि इस मामले में पंचायतों द्वारा अधिक सतर्कता बरती जा रही है. अगर सामग्री मद में अधिक राशि खर्च होती है, तो उसका दायित्व राज्य सरकार पर आता है. लेकिन, यह ध्यान रहे कि दोनों को अनुपात में ही खर्च किया जाये. बैठक में सदस्यों को अगस्त के अंतिम सप्ताह में फिल्ड विजिट कराने का निर्णय लिया गया.
कार्रवाई का निर्देश
मनरेगा योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान 32 पंचायतों में शून्य मानव दिवसों का सृजन किया गया है. ग्रामीण विकास विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए जिला कार्यक्रम समन्वयक को कार्रवाई का निर्देश दिया है. इन पंचायतों में मनरेगा के तहत रोजगार का सृजन ही नहीं किया गया.
मंत्री नीतीश मिश्र ने बताया कि एक पंचायत में औसतन 20 लाख रुपये का खर्च मनरेगा के तहत किया जाता है. इनमें 12 लाख रुपये मजदूरी के मद में खर्च होते हैं. इन पंचायतों में एक भी व्यक्ति को वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान रोजगार नहीं दिया गया. जिन पंचायतों में मानव दिवसों का सृजन नहीं किया गया है, उन्हें चिह्न्ति कर लिया गया है. जल्द ही उनके खिलाफ कार्रवाई भी शुरू हो जायेगी.