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मध्याहन भोजन मामला: विपक्ष ने सदन से वाकआउट किया

पटना : बिहार के सारण जिला के मशरख प्रखंड के धरमसाती गंडामन गांव में पिछले 16 जुलाई को विषाक्त मध्याहन भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत मामले में शिक्षा मंत्री पी के शाही द्वारा यह कहे जाने पर कि इस मामले में साजिश के तहत भोजन में जानबूझकर जहर मिलाया गया, विपक्षी सदस्यों ने […]

पटना : बिहार के सारण जिला के मशरख प्रखंड के धरमसाती गंडामन गांव में पिछले 16 जुलाई को विषाक्त मध्याहन भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत मामले में शिक्षा मंत्री पी के शाही द्वारा यह कहे जाने पर कि इस मामले में साजिश के तहत भोजन में जानबूझकर जहर मिलाया गया, विपक्षी सदस्यों ने आज बिहार विधानसभा से वाकआउट किया.

बिहार विधानसभा में राजद विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी द्वारा इस मामले को लेकर लाए गए कार्य स्थगन प्रस्ताव को स्वीकृत करते हुये अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने इस पर दो घंटे बहस कराए जाने की सहमति दी थी. बहस के बाद सरकार की ओर से जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री पी के शाही ने दावा किया कि उस स्कूल की आरोपी और निलंबित प्रधानाध्यापिका मीना देवी के पति अर्जुन राय ने जानबूझकर मध्याहन भोजन में जहर मिलाया था.

उन्होंने कहा कि अर्जुन राय ने, जिनका एक दल विशेष से नाता है, अपने चचेरे भाई ध्रुव राय के साथ सिंघवलिया स्थित चीनी मिल जाकर वहां से उस जहर को घटना के दो दिनों पूर्व खरीदा था और वहां के रजिस्टर पर दोनों के हस्ताक्षर भी हैं. शाही द्वारा अर्जुन राय और ध्रुव राय का संबंध राजद से जोडे जाने के विरोध में राजद सदस्य सदन में अध्यक्ष के आसन के सामने आकर आकर हंगामा करने लगे.

शाही ने बताया कि घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घटना पर खेद व्यक्त करते हुए सारण प्रमंडल के आयुक्त और पुलिस उपमहानिरीक्षक को जांच कर प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि इस बीच उनके आदेश पर प्राथमिक शिक्षा के सचिव और मध्याह्न भोजन के निदेशक घटनास्थल के रवाना हो गए.

शाही ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें अपने आवास पर बुलाकर सारण जिला मुख्यालय छपरा जाने का निर्देश दिया और वे वहां के लिए प्रस्थान कर गए. शाही ने कहा कि वह और मुख्यमंत्री लगातार सारण के जिलाधिकारी के साथ लगातार संपर्क में थे. छपरा जिला सदर अस्पताल में बच्चों की हालत में सुधार दिखने लगा था पर उनकी हालत फिर बिगड़ने पर मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश पर उन बच्चों को अविलंब पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) भेजा गया था.

उन्होंने कहा कि उस दिन रात भर पीएमसीएच के शिशु वार्ड में उनके साथ शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे और देश की जो सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा व्यवस्था हो सकती थी वह बीमार बच्चों को उपलब्ध करायी गयी.

विपक्ष के इस आरोप कि सरकार इस मामले में राजनीति कर रही है और बच्चों को बचाने में इंतजाम करने के बजाए अपनी जिम्मेवारी से बचने के लिए इस घटना को साजिश बता रही है, इस पर शाही ने कहा कि आखिर अर्जुन राय और ध्रुव राय का 250 मिलीलीटर मोनोक्रोटोफोस नामक उक्त जहर को खरीदे जाने का क्या औचित्य था जिसके एक मिलीलीटर से एक हजार चूहे मर सकते हैं.

शाही ने विपक्ष के उस कथन कि पांव की उंगली टूटी होने पर मुख्यमंत्री विधानसभा आ सकते हैं पर बच्चों को देखने पीएमसीएच नहीं जा सकते थे को ओछी राजनीति बताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद थी मध्याहन भोजन योजना का कुशल संचालन कैसे किया जाए विपक्ष इसको लेकर कुछ बहुमूल्य सुझाव देंगे.

उन्होंने कहा कि विपक्ष पर इस मामले में हो रही जांच को प्रभावित करने के लिए घटना के अगले दिन यानि 17 जुलाई को राजद और भाजपा द्वारा बंद का आयोजन किए जाने के साथ और एक आंदोलन का रुप दिया गया जिसके कारण पुलिस और जांच का अन्य दल धरमसाती गंडामन गांव नहीं पहुंच पाया. शाही ने कहा कि इस मामले की अब एसआईटी द्वारा जांच की जा रही है और इसमें जो भी संलिप्त होंगे उनके खिलाफ कठोर से कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

उल्लेखनीय है कि इस मामले की मुख्य आरोपी स्कूल की प्रधानाध्यापिका मीना देवी को एसआईटी टीम ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और अदालत से उसका पोलिग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति प्राप्त कर ली है.

शिक्षा मंत्री पी के शाही ने कहा कि मध्याह्न भोजन योजना के बारे में विस्तार में बताते हुए कहा कि इसके लिए चावल एफसीआई के माध्यम से बिहार खाद्य निगम उपलब्ध कराता है.

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त दाल, तेल, मसाला, नमक, सब्जी और जलावन के लिए कक्षा एक से पांच के लिए तीन रुपये 37 पैसे का प्रावधान है जबकि कक्षा छह से आठ के लिए यह राशि पांच रुपये निर्धारित है. शाही ने कहा कि केंद्र सरकार इसके लिए 75 प्रतिशत राशि उपलब्ध कराती है जबकि राज्य सरकार की ओर से बाकी राशि लगायी जाती है.

उन्होंने बताया कि यह सोचने की बात है कि क्या तीन रुपये 37 पैसे में दाल, तेल, मसाला, नमक, सब्जी और जलावन खरीदना संभव है. शाही ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का निर्देश है कि भोजन पकाने के लिए बर्तन खरीदे जाने की जिम्मेवारी केंद्र सरकार की होगी. केंद्र सरकार इसके लिए केवल सात हजार रुपये दे रही है जबकि कम से कम खर्च एक लाख 88 हजार रुपये आता है.

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से रसोई घर की मरम्मती और बरतन बदले जाने के लिए पांच सालों में पांच-पांच हजार रुपये की व्यवस्था है. शाही ने कहा कि तमिलनाडू को छोडकर देश के बाकी राज्यों में मध्याहन भोजन के लिए समान व्यवस्था है. विद्यालय की शिक्षा समिति और शिक्षकों के माध्यम से इस योजना का संचालन किया जाता है.

उन्होंने कहा कि वे मानते हैं कि स्वस्छता और गुणवत्ता को लेकर शिकायतें मिलती रही हैं और इन शिकायतों पर विभाग द्वारा कार्रवाई भी की गयी है. शाही ने कहा कि मध्याहन भोजन योजना में जो भी कमियां हैं उन्हें दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं और पिछले एक वर्ष में इसमें बहुत सुधार आया है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस घटना से सबक लेकर हमलोगों ने और चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था लागू की है और उन्हें उम्मीद है कि इसमें सुधार होगा तथा इस प्रकार की घटना की पुनरावृति नहीं होगी. मंत्री के जवाब के समय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन में मौजूद थे. मध्याहन भोजन को लेकर सदन में दो घंटे चली इस बहस के दौरान मुख्यमंत्री के गैर-मौजूद होने पर राजद और भाजपा ने उन्हें इसके प्रति संवदेनहीन होने का आरोप लगाया था.

बाद में सदन की आज की कार्यवाही समाप्त होने पर मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि गंडामन गांव के धर्मासती विद्यालय के विषाक्त मध्याहन भोजन की घटना को बहुत ही दर्दनाक एवं दुखद बताया और कहा कि इस घटना से हमलोगों को बेहद अफसोस है. हमारे 23 बच्चे काल कलवित हो गये.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सारण जिला में घटित इस घटना की पुलिस की जांच चल रही है. एसआइटी सभी मुददे पर जांच कर रही है. इसके सभी पहलुओं की जांच होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि पुलिस के जांच में जो दोषी पाये जायेंगे उन्हें कानून के कठघरे में खडा किया जायेगा तथा अदालत से दरख्वास्त किया जायेगा कि अपराधियों को कडी से कडी सजा दी जाय.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी पुलिस जांच चल रही है जब तक जांच का काम पुलिस पूरा नहीं कर लेती है तब तक उसके आपराधिक पहलू पर हम कोई बात कहना उचित नहीं समझते हैं.

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