पटना: राज्य सरकार ने किसानों को पटवन की सुविधा मुहैया कराने के लिए आठ घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति करने का निर्णय लिया है. सरकार का यह आदेश चाह कर भी जमीन पर नहीं उतर पायेगा. बिहार में 70 फीसदी राजकीय नलकूप बंद पड़े हैं. मात्र 30 फीसदी ही चालू अवस्था में हैं. इस कारण पर्याप्त बिजली मिलने के बावजूद खेतों तक पानी नहीं पहुंच पायेगा.
शनिवार को आलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बंद पड़े नलकूपों को अविलंब चालू करने के लिए कहा. लेकिन, खराब नलकूपों की संख्या इतनी है कि इन्हें धान की रोपनी तक ठीक करना लगभग नामुमकिन है. ब्रिटिश मॉडल व नाबार्ड फेज के तहत राज्य भर में फिलहाल 10240 नलकूप हैं.
इनमें मात्र 3110 नलकूप ही काम कर रहे हैं. 7130 नलकूप बंद पड़े हैं. बंद नलकूपों में 32 यांत्रिकी खराबी के कारण नहीं चल रहे हैं. कई नलकूप ट्रांसफॉर्मर, तार या अन्य छोटे-मोटे विद्युत उपकरणों के कारण बंद हैं. राज्य भर में ऐसे नलकूपों की संख्या 519 है. मैकेनिकल या विद्युत दोष के कारण 1595 नलकूप अभी बंद हैं. वहीं, 1157 नलकूपों में ऐसी खराबी है, जिन्हें दूर नहीं किया जा सकता.
1781 का नहीं हुआ विद्युतीकरण
ब्रिटिश मॉडल के साढ़े 17 एचपी के मोटरवाले इन नलकूपों में कहीं बोरिंग में ईंट-पत्थर डाल दिया गया है, तो कहीं इन्हें पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया गया है. नाबार्ड फेज 11 के तहत तीन हजार नलकूपों का निर्माण कार्य शुरू हुआ. 2740 नलकूपों में बोरिंग व मोटर स्थापित हो चुका है. इनमें से मात्र 959 नलकूपों का ही विद्युतीकरण किया जा सका है. 1781 नलकूपों का विद्युतीकरण बाकी है. लघु जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मानें, तो पिछले साल राज्य भर में राजकीय नलकूप से 1598 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी गयी थी. तीन फसलों में औसतन एक नलकूप से 80 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जाती है. खरीफ में 40 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा जाता है. लेकिन, यह लक्ष्य तभी पूरा होगा, जब नलकूपों में कम-से-कम चार हजार फुट पक्का नाला बना हो. नाला नहीं होने की स्थिति में अधिकतम 20 हेक्टेयर खेतों में ही सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा सकती है.