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3500 शिक्षक रिटायर, नियुक्ति एक भी नहीं

* विभिन्न कॉलेजों में कई विषयों के नहीं हैं शिक्षक * कैसे हो पढ़ाई – राज्य के श्रेष्ठ कॉलेजों में शुमार पटना सायंस कॉलेज हो, या दूर –दराज का कॉलेज, हर जगह पिछले दस वर्षों से शिक्षक नियुक्ति बंद है, जबकि उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए अन्य सुविधाओं के अलावा शिक्षकनियुक्तिबुनियादी शर्त है. […]

* विभिन्न कॉलेजों में कई विषयों के नहीं हैं शिक्षक

* कैसे हो पढ़ाई

– राज्य के श्रेष्ठ कॉलेजों में शुमार पटना सायंस कॉलेज हो, या दूरदराज का कॉलेज, हर जगह पिछले दस वर्षों से शिक्षक नियुक्ति बंद है, जबकि उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए अन्य सुविधाओं के अलावा शिक्षकनियुक्तिबुनियादी शर्त है. राज्य सरकार ने शिक्षक नियुक्ति के लिए संधोधन विधेक पारित किया और इसे राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेज दिया, पर मामला अब तक अटका हुआ है.

* कॉलेज में बिना क्लास किये परीक्षा दे रहे छात्र

* दो साल पहले रेशनलाइजेशन के लिए बनी थी टीम

पटना : बिहार में पिछले 10 वर्षों से विश्वविद्यालयोंकॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है, जबकि हर साल शिक्षक रिटायर हो रहे हैं. 2003 के बाद 3500 विवि शिक्षक रिटायर हो चुके हैं. स्थिति यह हो गयी है कि कई कॉलेजों में विज्ञान समेत अन्य विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं. इससे कॉलेजों में पढ़ाई बाधित हो रही है.

कॉलेज में बिना क्लास किये ही छात्र परीक्षा में शामिल हो रहे हैं और किसी तरह पास भी कर रहे हैं. वर्तमान में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में रेगुलर कोर्स में करीब 21 लाख विद्यार्थी हैं. दो साल पहले राजभवन और शिक्षा विभाग की संयुक्त टीम ने विवि शिक्षकों का रेशनलाइजेशन किया था. इसका मकसद विश्वविद्यालयों में छात्रों की संख्या के आधार पर विषयवार पद चिह्नित कर शिक्षकों की जल्द नियुक्ति करना था, पर हाल यह है कि जहां 25 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक होने चाहिए ,वहां अभी 300 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक हैं.

* 1450 छात्राओं पर गणित का एक शिक्षक : ललित नारायण मिथिला विवि के एमआरएम महिला कॉलेज, दरभंगा में इंटर से पीजी तक विज्ञान संकाय में 1450 से अधिक छात्राएं पढ़ती हैं, जबकि यहां गणित रसायन के सिर्फ एकएक शिक्षक हैं.

* विधेयक पर राज्यपाल की स्वीकृति का इंतजार : राज्य सरकार ने विवि शिक्षकों की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से कराने के लिए बजट सत्र में संशोधन विधेयक पास कराया था. इसे स्वीकृति के लिए अप्रैल में ही राज्यपाल के पास भेजा गया था, लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है. विधेयक पर सहमति मिलने के बाद नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होगी. गौरतलब है कि वर्ष 2011 में सरकार ने विवि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय आयोग बनाने के उद्देश्य से विधेयक पारित कराया था, जिस पर तत्कालीन राज्यपाल की स्वीकृति नहीं मिली थी.

* प्राथमिकता के आधार पर विश्वविद्यालयों कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति करनी चाहिए. बिना पढ़ाई के कॉलेजों में सिर्फ परीक्षाएं ली जा रही हैं.

प्रो अरुण कुमार, सचिव, फुटाब

* 260 छात्रों पर हैं तीन शिक्षक

पटना के सायंस कॉलेज में स्नातक में 260 विद्यार्थी गणित के हैं, जबकि यहां गणित के सिर्फ तीन शिक्षक हैं यानी 80 विद्यार्थी पर एक शिक्षक. गणित शिक्षक के आठ पद स्वीकृत हैं. यहां स्नातक में कुल विद्यार्थियों की संख्या 1600 से अधिक है. शिक्षकों के कुल पद 103 हैं, जिनके विरुद्ध सिर्फ 41 कार्यरत हैं. भौतिकी के सात, बॉटनी रसायन के आठ शिक्षक यहां कार्यरत हैं. तीन साल के अंदर इनमें आधे से अधिक रिटायर हो जायेंगे.

* नौ साल से बॉटनी का एक भी शिक्षक नहीं

तिलका मांझी विवि, भागलपुर के एसएसवी कॉलेज, कहलगांव में नौ साल से बॉटनी के एक भी शिक्षक नहीं हैं. गणित के सिर्फ एक शिक्षक हैं, जबकि यहां विज्ञान संकाय में पढ़नेवाले विद्यार्थियों की संख्या 800 से अधिक है. वीर कुंवर सिंह विवि के ग्राम भारती कॉलेज, रामगढ़ में भौतिकी, जयप्रकाश विवि के एलएनएस कॉलेज, दाउदपुर में रसायन, बॉटनी जूलॉजी और मगध विवि के एसएमएसजी कॉलेज, शेरघाटी में भौतिकी, रसायन जूलॉजी के एक भी शिक्षक नहीं हैं. ये उदाहरण मात्र हैं. ऐसी स्थिति कई कॉलेजों की है.

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