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गंठबंधन टूटने के बाद भी नीतीश फायदे में

नयी दिल्ली: बिहार में भाजपा-जदयू गंठबंधन टूटने के बाद ऐसे कयास लगाये जा रहे थे कि नीतीश कुमार को भारी नुकसान होगा. लेकिन सीएसडीएस के सर्वे के अनुसार गंठबंधन टूटने का बहुत असर जदयू की सीटों पर नहीं पडने वाला है. यदि इस समय लोकसभा चुनाव हो तो बिहार में जदयू को 15-19, भाजपा को […]

नयी दिल्ली: बिहार में भाजपा-जदयू गंठबंधन टूटने के बाद ऐसे कयास लगाये जा रहे थे कि नीतीश कुमार को भारी नुकसान होगा. लेकिन सीएसडीएस के सर्वे के अनुसार गंठबंधन टूटने का बहुत असर जदयू की सीटों पर नहीं पडने वाला है.

यदि इस समय लोकसभा चुनाव हो तो बिहार में जदयू को 15-19, भाजपा को 8-12, राजद को 8-12, कांग्रेस को 0-4, लोजपा को 0-2 सीटें मिल सकती हैं. यह अनुमान लगाया गया है सीएसडीएस की ओर से किये गयेसर्वेमें. सर्वे के आंकड़ों पर गौर करें तो गंठबंधन टूटने के बाद राज्य में भाजपा को फायदा होता नहीं दिख रहा है, जबकि जदयू की सीटें लगभग पहले की तरह रहेंगी, लेकिन राजद को चुनावी फायदा होने की उम्मीद जतायी गयी है.


दरअसल
, अगले लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर आम लोगों ही नहीं, चुनावविश्लेषकोंहालांकि सबकी नजरें जदयू और भाजपा गंठबंधन टूटने के बाद बिहार के चुनावी परिणामों पर टिकी हैं. सव्रे के मुताबिक बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता में नौ फीसदी की कमी आयी है, लेकिन उनकी पार्टी को इसका चुनावी नुकसान होता नहीं दिख रहा है. उधर, पश्चिम बंगाल में अगर मौजूदा हालात में चुनाव होते हैं तो एक बार फिर ममता का जादू चलता दिख रहा है. सर्वे के मुताबिक ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को 23-27 सीटें, वाम मोरचे को 7-11 सीटें और कांग्रेस को 5-9 सीटें मिलने का अनुमान है. यानी बंगाल में वाम मोरचे की स्थिति में सुधार की गुंजाइश नहीं दिख रही है. सर्वे के मुताबिक पश्चिम बंगाल में वाम मोरचे को 15 फीसदी वोटों का नुकसान होता दिख रहा है.

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