पटना: दोपहर एक बजे लंच की घंटी बजी. बच्चों के सामने रोजाना की तरह खाना भी आ गया. कुछ बच्चे खाने की ओर लपके, लेकिन जैसे ही उन्हें लाइन में लगने को कहा गया, सभी एक-एक कर पीछे हटते गये. बच्चों ने कहा, खाना नहीं खाऊंगा. पूछे जाने पर हल्की-सी आवाज आयी-मां ने कहा, खिचड़ी नहीं खाना. इसके अलावा कोई जवाब नहीं मिला. यह स्थिति बुधवार को राजधानी के प्राथमिक विद्यालय, इंद्रपुरी की थी. मशरक में हुई घटना के बाद मिड डे मील को लेकर शंका का भाव है.
बच्चों के मन में खौफ
बच्चों को नहीं पता कि उनकी मां ने खिचड़ी खाने से मना क्यों किया. बस, मां के आदेश का पालन किया. पूछे जाने पर बस कहा कि अखबार में निकला है, खाने में जहर है. पांच वर्षीय छात्र रोहन ने कहा, खिचड़ी नहीं खाऊंगा. मां ने मना किया है. पांचवीं की छात्र सुहाना समझदार है. उसे घटना की जानकारी है. उसने भी खाना खाने से इनकार कर दिया. प्राचार्य विथिका देवनाथ ने बताया कि एकता परिषद से अच्छा और साफ सुथरा खाना आता है. लेकिन, आज एक–दो को छोड़, बाकी ने खाना खाने से इनकार कर दिया. शिवपुरी स्थित प्राथमिक विद्यालय की प्राचार्य तपेश्वरी कुमारी ने बताया कि कुछ ही बच्चों ने खिचड़ी खायी. दुजरा प्राथमिक विद्यालय के रसोइयों ने खाना बनाने से इनकर कर दिया. प्राचार्य रोसा वैजू ने कहा कि हमारे विद्यालय में रसोइया से खाना बनवाया जाता है. इस घटना से विद्यालय की शिक्षिकाएं काफी डरी हुई हैं. प्राथमिक विद्यालय, अदालतगंज के बच्चों ने भी खाना नहीं खाया.
डरते-सहमते बच्चों ने उठाया निवाला
पटना सिटी त्न पटनासिटी के अधिकतर विद्यालयों में बच्चों ने भोजन का बहिष्कार किया. कुछ स्कूलोंे में बच्चों ने डरते–सहमते मध्याह्न् भोजन में बनी खिचड़ी खायी. सामुदायिक भवन के दो कमरों में संचालित गुलजारबाग अंचल प्राथमिक विद्यालय, मीना बाजार, में 27 बच्चों को खिचड़ी व आलू का भरता (चोखा) परोसा गया.
178 बच्चे नामांकित हैं. भय से अधिकातर विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति अपेक्षाकृत कम हुई. कन्या मध्य विद्यालय बेगमपुर के 372 बच्चे व बालक मध्य विद्यालय धवलपुरा में 212 बच्चों की उपस्थिति विद्यालय में हुई. यहां महज 50 फीसदी बच्चों ने भोजन किया. विद्यालय अवर निरीक्षक रामदहीन प्रसाद ने मध्याह्न् भोजन को स्वच्छतापूर्वक बनाने के निर्देश के साथ आधा दर्जन विद्यालयों का निरीक्षण कर जानकारी ली.