* विवाद की वजह से 2042 स्कूलों में बच्चों को नहीं मिल रहा भोजन
।। ब्रजेश ।।
पटना : मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड स्थित परजुआर डीह मध्य विद्यालय के बच्चों को पिछले डेढ़ साल से मध्याह्न् भोजन नहीं मिल रहा है. यहां 325 बच्चे नामांकित हैं. प्रतिदिन औसतन 50 फीसदी उपस्थिति भी रहती है.
मध्याह्न् भोजन निदेशालय द्वारा प्रतिदिन ली जाने वाली रिपोर्ट भी बताती है कि अगस्त, 2012 से यहां मध्याह्न् भोजन बंद है. यह रिपोर्ट प्रधानाध्यापक से प्रतिदिन ली जाती है. इसके बाद भी यहां मध्याह्न् भोजन शुरू नहीं कराया जा सका. बच्चों को भोजन नहीं मिलने की वजह विद्यालय शिक्षा समिति व प्रधानाध्यापक के बीच विवाद है.
परजुआरडीह विद्यालय का राज्य का अकेला विद्यालय नहीं है, जहां मिड डे मील कई महीनों से बंद है. मध्याह्न् भोजन निदेशालय की ताजा रिपोर्ट (मई में जारी) के मुताबिक इस माह राज्य के 2042 विद्यालयों में मध्याह्न् भोजन बंद रहा. उनमें 900 विद्यालयों में लोकल समस्या रही.
लोकल समस्या का मतलब प्रधानाध्यापक व विद्यालय शिक्षा समिति में विवाद है या फिर प्रधानाध्यापक रिटायर हो गये और उनके पद पर किसी ने प्रभार ग्रहण नहीं किया. 800 में खाद्यान्न की कमी रही. एफसीआइ या एसएफसी से खाद्यान्न का उठाव नहीं हो सका. बाकी स्कूलों में या तो किसी कारण से आवंटन नहीं गया या फिर निदेशालय को उन्होंने रिपोर्ट नहीं भेजी.
* जून, 2012 में 15000 विद्यालयों में बंद थे : 2012 में अप्रैल से जून तक राज्य के 15000 विद्यालयों में मध्याह्न् भोजन बंद थे. इस तरह देखें तो मध्याह्न् भोजन बंद रहने वाले विद्यालयों की संख्या में कमी आयी है. लेकिन अभी भी हजारों बच्चों को रोजाना इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता. मध्याह्न् भोजन योजना की मॉनीटरिंग के लिए आइवीआरएस प्रणाली जून, 2012 में शुरू की गयी. इसके तहत सभी स्कूलों से प्रतिदिन प्रधानाध्यापक के मोबाइल पर फोन कर जानकारी ली जाती है.
– प्राथमिक व मध्य स्कूलों में इंतजाम
* 02 करोड़, बच्चे नामांकित इन स्कूलों में
* 60 फीसदी, औसतन बच्चे मध्याह्न् भोजन लेते हैं
– क्या है मेनू
* सोमवार – चावल, मिश्रित दाल व हरी सब्जी
* मंगलवार – जीरा चावल, सोयाबीन व आलू की सब्जी
* बुधवार – खिचड़ी (हरी सब्जी युक्त) व चोखा
* गुरुवार – चावल, मिश्रित दाल व हरी सब्जी
* शुक्रवार – पुलाव व चना का छोला व सलाद
* शनिवार – खिचड़ी (हरी सब्जी युक्त) व चोखा
– बढ़ी है संख्या
2012-13 में 45} बच्चों को मिलता था
2011-12 में यह आंकड़ा 40 फीसदी था
* 1800 करोड़ है बजट
वर्ष 2013-14 में बिहार में इस योजना का बजट 1800 करोड़ रुपये है. इनमें 75 फीसदी राशि केंद्र व 25 फीसदी राज्य सरकार खर्च करती है. विद्यालयों में नामांकित बच्चों का ठहराव सुनिश्चित करने व उन्हें कुपोषण से बचाने के मकसद से एक जनवरी, 2005 में बिहार में मध्याह्न् भोजन योजना शुरू हुई. शुरुआत में सिर्फ कक्षा एक से पांच के बच्चों को मध्याह्न् भोजन दिया जाता था. एक मार्च, 2008 से कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को भी इसका लाभ दिया जाने लगा.
ऐसे विद्यालयों को चिह्न्ति किया जा रहा है, जहां लगातार यह योजना बंद है. जल्द ही राज्य के सभी विद्यालयों में प्रतिदिन मध्याह्न् भोजन का संचालन सुनिश्चित किया जायेगा. लोकल समस्या व खाद्यान्न की कमी को दूर किया जायेगा.
आर कृष्णनन, निदेशक मध्याह्न् भोजन योजना