पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने टोला सेवकों को बड़ा तोहफा दिया है. उन्होंने बिहार में नियोजित शिक्षकों की तर्ज पर सभी टोला सेवकों और तालीमी मरकज की सेवा 60 साल तक करने की घोषणा की. वे शनिवार को जदयू महादलित प्रकोष्ठ की ओर से डा. भीम राव आंबेडकर की पुण्यतिथि पर पटना के मिलर स्कूल मैदान में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां टोला सेवकों की कमी है या नहीं है, वहां ट्रेनिंग किये लोगों को सरकार काम पर लगायेगी. इसके बाद फरवरी, 2015 में गांधी मैदान में होने वाले सम्मेलन में अगर पांच लाख दलित-महादलित जुटते हैं तो टोला सेवकों-तालीमी मरकज का मानदेय 10 हजार रुपये कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि नीतीश ने टोला-सेवकों तालीमी मरकज को जन्म दिया है, हमने पाला- पोसा है, उन्हें मुरझाने नहीं देंगे. मुख्यमंत्री ने डा. आंबेडकर फाउंडेशन और दशरथ मांझी श्रम नियोजन संस्थान खोलने की भी घोषणा की. दोनों संस्थानों में दो-दो अरब रुपये निवेश होगा. इसमें दलित-महादलित के लोगों को ट्रेनिंग दी जायेगी. आइएएस-आइपीएस की ट्रेनिंग दी जायेगी.
इन दोनों संस्थानों को किराये के मकान लेकर भी शुरू किया जायेगा और फरवरी में इसकी घोषणा भी की जायेगी. सीएम ने अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर का नाम डॉ भीमराव आंबेडकर के नाम पर रखने का भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि रेवेन्यू विलेज में एक-एक सफाईकर्मी बहाल किये जायेंगे. इससे 45000 लोगों को नौकरी मिलेगी. इन्हें मानदेय पांच से आठ हजार रुपये दिया जायेगा. वे गांवों की सफाई करेंगे. इस नौकरी का लाभ मुख्य रूप से दलित-महादलित परिवार को मिलेगा. सम्मेलन में सांसद अली अनवर, खाद्य व उपभोक्ता मंत्री श्याम रजक, विधायक अरुण मांझी, मनीष कुमार, उदय मांझी, ललन भुइंया, संतोष कुमार निराला, ज्योति मांझी, पूर्व विधायक सतीश कुमार, जदयू महादलित प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हुलेश मांझी ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
अखबारों में मेरा नाम छुआ-छूत हो गया मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सभी से एकजुटता की भी अपील की . उन्होंने कहा कि एक झंडा के तले एससी-एसटी को लाने का प्रयास होना चाहिए. इसे गंभीरता से लेना चाहिए. जब वोट एससी-एसटी का है तो राज किसी और का क्यों होगा? नीतीश कुमार हों या फिर कोई महादलित हो तो साथ देंगे, बाकी को फटकने नहीं दिया जायेगा. सीएम ने कहा कि मेरी बातों को मीडिया वाले अलग तरह से पेश करते थे. कहते थे कि मांझी की जुबान फिसल गयी. लेकिन मेरी बातों को दलित-महादलित के लोग समझ रहे थे. इसी का नतीजा है कि बड़ी संख्या में लोग समारोह में शामिल होने आये हैं. यह तो अभी झांकी है. हम अखबारों के पन्नों पर रहे या ना रहें अनुसूचित जाति के दिल में रहें बस यही तमन्ना है. लगता है कि अखबारों में मेरा नाम छुआ-छूत हो गया है. उन्होंने कहा कि समारोह के लिए बुलाये थे तीन आ गये हैं 13. यह देख कर कुछ लोगों के पेट में भी दर्द हो रहा होगा. उनकी अतड़ी गंगा में बह जायेगी. मेरे और नीतीश कुमार के बीच मतभेद की बात प्रचारित की गयी. लेकिन नीतीश कुमार जी बुद्धु थोड़े ही हैं हम जो कहते थे वह उसे अच्छी तरह समझते हैं. सीएम ने कहा कि जिस तरह लोग जुटे हैं उसी तरह एकता को बरकरार रखना है.
हरिजन बस्ती में सफाई करें मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफाई नीति की आलोचना करते हुए सीएम ने कहा कि नरेंद्र मोदी सफाई का नाटक कर रहे हैं. प्लेटफॉर्म की गंदगी की सफाई करवा रहे हैं. पहले उन्हें अपने दिमाग की गंदगी साफ करनी चाहिए. प्लेटफॉर्म नहीं हरिजन-महादलित की बस्ती को साफ कराइये. दलित बस्ती में चल कर एक साथ खाना खाएं और उनके घर का पानी पीएं तब ना हम उन्हें नेता मानेंगे. सीएम ने कहा कि महादलितों को तीन डिसमिल जमीन देने की घोषणा की गयी थी, अब उसे पांच डिसमिल कर दिया गया है और मकान बना कर दे रहे हैं. शहर में भी जमीन देकर दलितों को बसाया जायेगा.
नीतीश के कद का कोई नेता नहीं
सीएम ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महादलितों के हितैषी हैं. महादलित समाज उनके दूरदर्शी कदम को भूलने वाला नहीं है. महादलित प्रेम के लिए उन्होंने इसकी पहली झलक तब दिखायी थी जब दशरथ मांझी के लिए अपनी कुरसी छोड़ दी थी. उसके बाद नीतीश जी ने जब त्यागपत्र दिया तो महादलित परिवार के सदस्य को मुख्यमंत्री बनाया. जो बनता है वो बड़ा है, लेकिन जो बनाता है वो उससे भी बड़ा है. आज देश में नीतीश कुमार के कद का कोई नेता नहीं है.