पटना: पटना हाइकोर्ट ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में नर्सो की भारी कमी पर सरकार को कड़ी फटकार लगायी है. न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह ने बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र की मौजूदगी में कहा कि ऐसी स्थिति में सरकार को अस्पतालों को बंद कर देना चाहिए.
इस दौरान न्यायाधीश ने नर्सो की हड़ताल का भी जिक्र किया. उन्होंने प्रधान सचिव को 14 दिसंबर तक हलफनामा दायर कर पूरी स्थिति की जानकारी देने को कहा है.
कोर्ट की नाराजगी सरकार अस्पतालों में नर्सो की बड़ी संख्या में रिक्तियों को लेकर थी. न्यायाधीश ने कहा कि कांट्रैक्ट के आधार पर नर्साें की नियुक्ति की जाती है और फिर तीन साल बाद उसका शोषण किया जाता है. मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर सरकारी अस्पताल चल किस प्रकार रहे हैं. सरकार इसे बंद क्यों नहीं कर देती है. न्यायाधीश ने कहा कि आजादी के 60 वर्ष बाद भी राज्य में एक भी नर्सिग स्कूल नहीं है.
आइजीएमएम में थर्मामीटर भी नहीं
आइजीएमएस की चर्चा करते हुए कोर्ट ने कहा कि हमारे एक सहयोगी जब अस्पताल गये, तो वहां थर्मामीटर भी उपलब्ध नहीं था.उन्होंने अपने पैसे से 50 थर्मामीटर खरीद कर अस्पताल प्रशासन को दिये. कोर्ट की फटकार के वक्त प्रधान सचिव चुपचाप खड़े थे. कोर्ट ने कहा कि अस्पतालों की बेहतरी के लिए सरकार लगातार पैसा देती है. लेकिन, इन पैसों को खर्च नहीं किया जाता, उसे सरेंडर कर दिया जाता. कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि अस्पतालों की यही स्थिति बनी रही, तो वह मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को अस्पतालों की मान्यता समाप्त करने को लिखेंगे. प्रधान सचिव ने कोर्ट को बताया कि एएनएम के 6789 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. इनमें तीन हजार पदों के लिए 15 दिसंबर से काउंसेलिंग शुरू की जा रही है. इस पर कोर्ट ने कहा कि अब तक काउंसेलिंग क्यों नहीं की गयी, यह भी बताएं.