पटना : खाद्य सुरक्षा के लाभार्थियों की सूची को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच विवाद का असर गरीबों के निवाले पर पड़ रहा है. केंद्र सरकार का कहना है कि अब भी बिहार के एक करोड़ गरीबों को खाद्य सुरक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है. इससे वे महंगी दर पर अनाज खरीदने को मजबूर हैं. केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मामले के मंत्री रामविलास पासवान ने रविवार को राज्य सरकार को चेतावनी दी कि 31 दिसंबर तक यदि खाद्य सुरक्षा के लाभार्थियों की सूची मुहैया नहीं करायी गयी, तो केंद्र दूसरा रास्ता अख्तियार करेगा. उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों के 84.50} व शहरी क्षेत्र के 74.05} लोगों को सस्ती दर पर राशन मुहैया कराना है. केंद्र ने सूबे के 8.71 करोड़ लाभार्थियों को सस्ती दर पर राशन मुहैया कराने का लक्ष्य बनाया है. कहा कि सीएम के साथ मेरी जून व जुलाई में दो-दो बैठकें हो चुकी हैं. उन्होंने जुलाई में ही पूरी सूची उपलब्ध कराने की बात कही थी, पर अब तक नहीं मिली. उन्होंने पूछा कि राज्य खाद निगम के गोदामों से गरीबों का अनाज कहां जाता है? आज तक राज्य सरकार ने कोई रिपोर्ट नहीं दी. उन्होंने लाभार्थियों की सूची वेबसाइट पर सार्वजनिक करने को कहा.
अभी नहीं, कल दूंगा जवाब : रजक
बिहार के खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने पासवान की चेतावनी पर कोई टिपप्णी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि बिहार के गरीबों का कोई हक नहीं मार सकता. इस पर मुकम्मल जवाब दो दिसंबर को मैं दूंगा.
30 दिनों में होगा उपभोक्ताओं की शिकायतों का निबटारा
उपभोक्ता की शिकायतों का जल्द-से-जल्द निबटारा करने के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कंजूमर फोरम बनेगा. केंद्र सरकार जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कंजूमर फोरम के गठन की प्रक्रिया बना रही है. सरकार उपभोक्ता फोरम को संसद के अगले सत्र में स्वीकृति दिलाने की योजना बना रही है. फोरमों में अधिकतम 30 दिनों में फैसला होगा. यही नहीं, उपभोक्ता फोरम में यदि 21 दिनों तक कोई शिकायत करने के बाद उसे दर्ज न की गयी, तो उसे स्वाभाविक रूप से दर्ज माना जायेगा.