पटना: रबी के मौसम में खाद खासकर यूरिया की किल्लत हो जाती है. खासतौर से यह देखा जाता है कि यह किल्लत कालाबाजारी करनेवाले उत्पन्न कर देते हैं. राज्य के नेपाल सीमा से जुड़े सभी जिलों में खाद की कालाबाजारी की शिकायतें सबसे ज्यादा मिली हैं.
ऐसे सभी सीमावर्ती जिलों में कृषि विभाग ने खाद बिक्री के नये लाइसेंस देने पर फिलहाल रोक लगा दी है. अब इन जिलों में खाद की बिक्री का नया लाइसेंस नहीं दिया जायेगा. अगर किसी विशेष परिस्थिति में लाइसेंस देने की जरूरत पड़ेगी, तो इसे जारी करने के लिए खास नीति बनायी जायेगी. फिलहाल नयी नीति क्या होगी, इस पर विभाग गंभीरता से विचार कर रहा है.
होगी गहन जांच
नेपाल की सीमा से सटे सात जिलों में पहले से मौजूद खाद के थोक व खुदरा व्यापारियों की सघन जांच की जायेगी. इनके स्टॉक रजिस्टर, गोदाम और संधारण पंजी की गहन छानबीन के लिए जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में मजिस्ट्रेट, जिला कृषि पदाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों की खास टीम बनायी जायेगी. इसके अलावा कृषि विभाग मुख्यालय स्तर पर भी एक खास टीम बना कर इन जिलों में खासतौर से औचक निरीक्षण करायेगा. अन्य जिलों में खाद व्यापारियों की होनेवाली जांच से इन जिलों की छानबीन थोड़े अलग तरीके से की जायेगी.सीमावर्ती जिलों में किस व्यापारी को कितना खाद का स्टॉक मिला और उसकी कितनी बिक्री कब-कब हुई, इसका पूरा हिसाब रखा जायेगा. विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने इस मामले में संबंधित जिलों के डीएम को विशेष चौकसी बरतने का निर्देश देते हुए पत्र लिखा है. इन जिलों के किसानों को खाद की किल्लत नहीं हो, इसका ध्यान रखते हुए कृषि विभाग ने पहले से मौजूद डीलरों को जिलों में यूरिया समेत अन्य खादों की खपत के हिसाब से सप्लाइ देने की बात कही है.
साइकिल पर लाद पहुंचाते हैं नेपाल
नेपाल से सटे जिलों में इस बात की बहुत शिकायत मिली है कि यहां से यूरिया बड़े पैमाने पर अवैध ढंग से नेपाल भेज दिया जाता है. इन जिलों से साइकिल पर दो-चार बोरा यूरिया लाद कर आसानी से सीमा पार कर नेपाल पहुंचा दिया जाता है. रोजाना कई ट्रिप लगा कर कालाबाजारी करनेवाले खाद को दूसरे देश पहुंचा देते हैं. नेपाल में ढाई-तीन गुना दाम पर खाद बिकता है. इससे इन जिलों में मौजूद स्टॉक कम हो जाता है और यहां के किसान को खाद नहीं मिल पाती है. जबकि, इन जिलों में खपत के हिसाब से स्टॉक भेजा जाता है. फिर भी हर साल रबी या खरीफ मौसम खत्म होते-होते कमी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इसे रोकने के लिए कृषि विभाग ने इस साल यह पहल की है.
इन जिलों पर खास नजर
सुपौल, अररिया, किशनगंज, मधुबनी, सीतामढ़ी, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण.