पटना: बिहार की 24 जातियां हिंदी और अंगरेजी के चक्कर में 20 सालों से उलझ कर रह गयीं. उन्हें केंद्रीय योजनाओं में समुचित हिस्सेदारी नहीं मिली. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने बिहार सरकार ने अंगरेजी में रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन राज्य सरकार ने रिपोर्ट हिंदी में भेज दी थी. इसके कारण इस रिपोर्ट के आधार पर कोई फैसला नहीं हो सका और बिहार सरकार की सूची में शामिल होने के बावजूद इन 24 जातियों को केंद्रीय सूची में जगह नहीं मिल सकी.
अब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग इनका खुद सर्वे करने बिहार पहुंचा है. आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी इश्वरैया ने कहा कि राज्य सरकार की रिपोर्ट हिंदी में थी, जबकि केंद्रीय सरकार के कामकाज की मुख्य भाषा अंगरेजी है. इस वजह से देर हुई और 20 साल बाद आयोग खुद यहां इसी कार्य के सर्वे के लिए पहुंचा. उन्होंने स्वीकार किया कि जिन जातियों ने अपनी आवाज बुलंद नहीं की, उनका मामला फंस गया. वे इस मामले में पीछे छूट गये. राज्य सरकार की सूची में तो लाभ मिला, लेकिन उन्हें केंद्रीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका. जबकि सुनवाई में स्पष्ट हुआ है कि वे इसके हकदार हैं. अब आयोग इस पर जल्द ही फैसला सुनायेगा.
आयोग के सदस्य डॉ शकीलुज्ज्मा अंसारी कहते हैं कि मुंगेरीलाल कमीशन की रिपोर्ट राज्य सरकार ने आयोग को उपलब्ध नहीं करायी, जबकि वही रिपोर्ट केंद्रीय सूची में शामिल होने का आधारहै. इसी वजह से आयोग खुद उन जातियों को लाभ दिलाने के लिए यहां पहुंचा है. सरकार रिपोर्ट नहीं दे रही है, तो हम खुद सर्वे करने पहुंचे हैं.
दिल्ली में विचार-विमर्श के बाद फैसला
इन 24 जातियों को केंद्रीय सूची में शामिल करने का फैसला राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग दिल्ली में करेगा. गुरुवार व शुक्रवार को इन जातियों का पक्ष सुनने के बाद आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी ईश्वरैया ने कहा, सभी की बातें सुन ली गयी हैं और इस संबंध में आयोग दिल्ली में विमर्श करने के बाद अपना फैसला जल्द सुनायेगा. उन्होंने माना कि कुछ जातियों को तुरंत केंद्रीय सूची का लाभ मिलना चाहिए, लेकिन उन्होंने उन जातियों के नाम बताने से इनकार कर दिया.
इसके पहले शुक्रवार को प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय परिसर में बाकी बची 10 जातियों की सुनवाई हुई. इनमें लक्ष्मी नारायण गोला, मडरिया (मुसलिम), मलिक (मुसलिम), मोदक-मायरा, मोरियारी, परथा, सैंथवार, सामरी वैश्य, सुरजापुरी (मुसलिम), सूत्रधार शामिल थे. इन जातियों, समुदायों व उपजातियों के प्रतिनिधियों ने आयोग के समक्ष तथ्यों व आंकड़ों के साथ अपना पक्ष रखा. सुनवाई में बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति धर्मपाल सिन्हा, सदस्य कंचन गुप्ता, सदस्य सचिव दामोदर प्रसाद, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव डीएस गंगवार व प्रमंडलीय आयुक्त नर्मदेश्वर लाल ने भी भाग लिया.
सुनवाई के वक्त भिड़े दो उपजातियों के प्रतिनिधि
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एक ही समुदाय की दो उपजातियों के प्रतिनिधि आपस में भिड़ गये. मलिक और मोबिन-अंसारी के प्रतिनिधियों का एक-दूसरे के संबंध में कहना था कि उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो गयी है, इसलिए वे पिछड़ा वर्ग की सुविधाएं लेने के अधिकारी नहीं हैं. मलिक जाति की ओर से बिहार शमशाद मलिक के अध्यक्ष मो शमशाद जफर मलिक, अबू नसर, हारून रशीद, सरफराज अहमद ने कहा कि हम सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं, पर हमें केंद्रीय सूची का लाभ नहीं मिला. वहीं, मोबिन-अंसारी एनेक्स्चर वन में हैं, लेकिन काफी संपन्न हैं. उनके विधायक हैं, सांसद हैं. वहीं मोबिन-अंसारी की ओर से बिहार अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य शमशाद सांईं का कहना था कि मलिक ने गलत सिफारिश करा कर खुद को बीसी 2 में शामिल करा लिया. जब वे यह बात कह रहे थे, तो हमें बुरा भला कहने लगे. इस संबंध में आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपनी बात रखी है. फैसला दिल्ली में करेंगे.