पटना: राज्य के करीब 80 फीसदी लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं और तकरीबन इतनी आबादी पूरी तरह से खेती पर निर्भर है. कृषि की हालत अच्छी होने पर मजदूरों की स्थिति भी अच्छी होगी.
उन्हें पलायन नहीं करना पड़ेगा. जरूरत है कृषि के प्रति नजरिया बदलने की. इसे एक उद्योग की तरह देखने की आवश्यकता है. ये बातें मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेती) के नये भवन के उद्घाटन के मौके पर कहीं. उन्होंने कहा कि आजकल पढ़े-लिखे लोग कृषि कार्य से जुड़ते हैं, तो लोग इसका मजाक उड़ाते हैं.
अपने को ‘अल्ट्रा मॉडर्न’ समझनेवाले लोग खेती-बारी के कार्य को ठीक नहीं मानते. मॉम-डैड की संस्कृति से ऊपर उठ कर इससे जुड़ने की जरूरत है. अपनी मूल सांस्कृतिक परंपराओं से दूर होने के कारण हम कई बीमारियों और प्राकृतिक समस्याओं से घिरते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज खेती में उतनी आमदनी नहीं रही. लागत निकालना मुश्किल होता जा रहा है. इससे मजदूर सबसे ज्यादा दिक्कत में गुजर-बसर कर रहे हैं. आज किसी मजदूर के घर के सामने धान का ‘पींज’ नहीं दिखता है. गेहूं-धान की खेती खत्म होने के तीन-चार महीने बाद इनके सामने खाने का संकट पैदा हो जाता है. ऐसी स्थिति को दूर करने के लिए कृषि के क्षेत्र को बेहतर बनाया जा रहा है.
दूसरा कृषि रोड मैप शुरू किया गया है. सीएम ने किसानों से कहा कि फसल चक्र को अपनाएं, नये बीज से खेती करें और कैश क्रॉप लगाएं. सीएम ने बामेती से प्रकाशित औषधीय खेती समेत अन्य मुद्दों पर पुस्तक और सीडी का विमोचन किया. जिला या प्रमंडल स्तर पर तैयार हुए सात संयुक्त कृषि भवनों का उद्घाटन और प्रखंड स्तर पर बन रहे 21 इ-किसान भवन का उद्घाटन और 91 का शिलान्यास किया. बामेती परिसर में पाटली और मौली के पौधे लगाये. स्वागत भाषण विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा और समापन भाषण बामेती निदेशक आरएन सिंह ने किया. इस दौरान किसान आयोग के अध्यक्ष सीपी सिन्हा, इरडा के एमडी राहुल सिंह, राजेंद्र कृषि विवि के कुलपति आरके मित्तल, वाणिकी निदेशक अरविंदर सिंह आदि मौजूद थे.
किसान नहीं, मजदूर का बेटा हूं
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह अपने संबोधन में मुख्यमंत्री को किसान का बेटा कह गये. जब मुख्यमंत्री के बोलने की बारी आयी, तो उन्होंने सबसे पहले इस बात से इनकार करते हुए कहा कि नरेंद्र बाबू मैं किसान नहीं, मजदूर का बेटा हूं. यह समझने की जरूरत है कि किसान कौन हैं? एक एकड़ से कम भूमि वाले को भूमिहीन माना जाता है. किसान और मजदूर का संबंध गहरा होता है. दोनों के बेहतर संबंध से ही कृषि बेहतर हो सकती है.
सीएम ने किसी सवर्ण को विदेशी नहीं कहा : नरेंद्र
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि किसी सवर्ण को जीतन बाबू ने विदेशी नहीं कहा है. गंदी राजनीति करनेवालों ने इस मामले को तूल दे दिया है. सीएम सवर्ण विरोधी नहीं, बल्कि दिल से बिहार की तरक्की चाहनेवाले एक सच्चे नेता हैं. बुद्ध की धरती से आनेवाले मुख्यमंत्री ने सीधेपन में बोल दिया. उनके कहने का मतलब था कि नेपाल से आकर कुछ लोग तराई क्षेत्र में बस गये और कब्जा कर लिया. सीएम ने उन्हें विदेशी कहा था. उन्होंने विरोधियों पर हमला बोलते हुए कहा कि द्वेष की राजनीति नहीं करें. कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार आज कृषि के क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है. इसी कारण इसे 2011 में कृषि कर्मण्य पुरस्कार मिला. हम जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं, आनेवाले दिनों में बिहार देश का सर्वप्रथम कृषि उत्पादक राज्य बनेगा. उन्होंने कहा कि किसानों को अनुदान या अन्य किसी सुविधाओं में कुछ कटौती हुई है, तो इसकी क्षतिपूर्ति जल्द की जायेगी. सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी. फर्जी किसान बन कर अनुदान का लाभ लेनेवालों पर विभाग की सख्त नजर है.