पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भाजपा को हराने के लिए सभी विरोधी पार्टियों से एक साथ होने का आह्वान किया है. सोमवार को जनता दरबार के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में मांझी ने कहा कि जदयू-राजद के विलय पर दोनों दलों के नेताओं नीतीश कुमार, शरद यादव व लालू प्रसाद को मिल कर निर्णय लेना है.
लेकिन व्यक्तिगत राय है कि भाजपा को अगर रोकना है, तो हमें एक साथ होना चाहिए, महागंठबंधन मजबूत होगा और भाजपा को हराने में हम कामयाब होंगे. उन्होंने कहा, मेरे बयानों को दूसरे रूप में परोसा जाता है. डॉक्टरों के हाथ काटने की बात का मतलब कतई यह नहीं था कि उनके हाथ काटे जायेंगे. इसका अर्थ उनके अधिकार छीनने से था.
महादलित, एससी-एसटी, पिछड़ा या अल्पसंख्यक सबका विकास हो रहा है. हां, इतना जरूर है कि नीतीश और हम जिस गति से विकास चाहते थे, उसमें थोड़ी रुकावट आ रही है, लेकिन फिर भी विकास हो रहा है. जदयू सांसद केसी त्यागी के आरोपों के सवाल से मुख्यमंत्री ने इनकार किया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जो रोड मैप तैयार किया था, उसी को आगे बढ़ा रहे हैं. जरूरत महसूस होती है, तो आगे बढ़ कर काम कर रहे हैं.
जदयू में आ जायें सुशील मोदी
मांझी ने कहा कि मेरा भाजपा में जाने का सवाल ही नहीं है. मेरे व भाजपा के रास्ते अलग-अलग है. सुशील मोदी अगर भाजपा में शामिल करने की बात कर रहे हैं, तो वे साथ काम कर चुके हैं. सरकार में बहुमत भी हमारी है, इसलिए वह ही जदयू में शामिल हो जाएं, ठीक रहेगा.
जात का जिम्मा छुटभैये पर : मांझी ने किसी का नाम लिये बगैर कहा कि पार्टी के कुछ छुटभैये लोगों को उनका बयान समझ में नहीं आता. वे पूरी जात का जिम्मा लेकर बैठे हैं. सवर्ण के लिए मैंने कुछ गलत नहीं कहा था. भाषा को अलग तरीके से पेश किया गया. वहां आठ लोगों की हत्या हुई थी. कोई वहां जा नहीं रहा था, मैं गया और उनकी संवेदना व स्वाभिमान बढ़ाने के लिए कहा था. इसके बाद वर्ग विशेष के छुटभैये अपनी बात कहने लगे, जबकि वह समाज पूरे तौर पर मुजफ्फरपुर के कांटी में एक सभा में हमारे साथ था.