पटना: संपर्क यात्रा पर जाने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने निशाने पर लिया है. पोलो रोड स्थित अपने आवास पर जनता दरबार के समापन के बाद मोदी ने कहा कि अब जदयू में कार्यकर्ता नहीं, सिर्फ अभिकर्ता यानी ठेकेदार रह गये हैं.
उन्होंने कहा कि यदि संपर्क यात्रा पर जाना ही है, तो वह पहले रावण वध, हुंकार रैली, फारबिसगंज व रोहतास गोली कांड, कुरमुरी (भोजपुर) कांड और सारण में मिड डे मील के पीड़ितों से संपर्क करें. उन्होंने अब तक इनसे संपर्क नहीं किया है. भीड़ जुटाने के लिए एक माह से सभी मंच-प्रकोष्ठ की बैठक कर रहे हैं. उन्हें डर है कि भीड़ जुटेगी या नहीं. भीड़ जुटाने के लिए मंत्रियों को जिम्मेवारी दी गयी है. उन्होंने कहा कि अगले एक माह तक सरकार इनके स्वागत में लगी रहेगी. मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार का स्वागत करने वाले अधिकारियों पर नजर रहेगी. मोदी ने कहा कि अब मात्र दस माह का कार्यकाल सरकार का है. ऐसे पदाधिकारियों को नीतीश कुमार की अगवानी से मना करने के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी को पत्र लिखेंगे. मोदी ने कहा कि क्या ये पदाधिकारी लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र की अगवानी में जायेंगे? मोदी ने पूछा कि नीतीश कुमार से उनकी संपर्क यात्रा के दौरान रोजाना वह एक प्रश्न पूछेंगे.
वह जवाब दें या नहीं.18 माह में एक भी नयी योजना शुरू करने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि संपर्क यात्रा के दौरान बताएं कि सारा विकास कार्य ठप क्यों है? नीतीश कुमार से पूछा कि अगर आप मुख्यमंत्री बनते हैं, तो पीएम की अगवानी करने गुलदस्ता लेकर एयरपोर्ट पहुंचेंगे? मोदी से हाथ मिलायेंगे और फोटो खिचवायेंगे? उन्होंने कहा कि यदि भाजपा सांप्रदायिक है तो 17 साल तक साथ क्यों थे? क्या 2005 से पहले बिहार में जंगल राज था या नहीं? किसके राज में बिहारी कहलाने में शर्म आने लगी थी?
दास को निलंबित करने की मांग : उन्होंने आइपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास को निलंबित करने की मांग की. उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर विशेष शाखा को गिरिराज सिंह के रणवीर सेना के साथ संबंध की जांच के लिए पत्र लिखा है. दास के विवादास्पद बयान संबंधी प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि ब्रrोश्वर मुखिया की हत्या में तो जदयू के लोग भी शामिल थे. एक सवाल में उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में समाज के सभी वर्ग को जगह मिली है. मंत्रिमंडल में सात ब्राह्नाण हैं. बिहार सरकार में एक भी कान्यकुब्ज ब्राrाण को जगह नहीं मिली है.