भागलपुर मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन के दौरान नकली दवा से अरविंद कुमार साह की मौत के बाद उसके परिजनों की स्थिति खराब हो गयी है. परेशानियों से घिरी अरविंद की पत्नी सविता ने अपने दो बच्चों के साथ सोमवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से जनता दरबार में मुलाकात की. उन्होंने मुख्यमंत्री से एक नौकरी, बच्चाे को मुफ्त शिक्षा व दस लाख का मुआवजा मांगा. उन्हें मुआवजे के लिए एक हफ्ते का आश्वासन मिला है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने एक सप्ताह बाद फोन कर कार्रवाई की जानकारी लेने को कहा. सविता देवी के पांच बच्चों हैं, जिनमें सबसे बड़ी बेटी है, जिसकी उम्र 18 साल है और वह बीए कर रही है. फिलहाल कॉलेज के प्राचार्य की मदद से उसकी पढ़ाई हो रही है, लेकिन बाकी बच्चाों की पढ़ाई के साथ उनका घर नहीं चल पा रहा है.
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मदद दो, नहीं तो दे देंगे जान
भागलपुर मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन के दौरान नकली दवा से अरविंद कुमार साह की मौत के बाद उसके परिजनों की स्थिति खराब हो गयी है. परेशानियों से घिरी अरविंद की पत्नी सविता ने अपने दो बच्चों के साथ सोमवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से जनता दरबार में मुलाकात की. उन्होंने मुख्यमंत्री से एक नौकरी, […]
विधानसभा के गेट पर करूंगी आमरण अनशन : प्रभात खबर पहुंची पीड़ित सविता ने कहा कि एक सप्ताह बाद दोबारा हम मुख्यमंत्री के पास जायेंगे और अधिकारियों द्वारा दिये गये नंबर पर फोन करेंगे. अगर सरकार की ओर से कुछ होगा, तो ठीक है. वरना हम विधानसभा के गेट पर आमरण अनशन करेंगे. इसके अलावा हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है. सविता ने कहा कि हमारा पति मजदूरी करके घर चलाता था, लेकिन नकली दवा के खेल में उसकी बलि चढ़ा दी गयी है. हम क्या करें अगर सरकार हमारी बात नहीं सुनेगी, तो हम भी इनके सामने खुद को खत्म कर लेंगे. अरविंद की बड़ी बेटी चंदा से जब पूछा गया कि तुमको अपनी पिता की याद आती है, तो वह रोने लगी. जब उसका नाम पूछा, तो वह ठीक से नहीं बता पा रही थी. बस वह इतना ही कहीं कि पिताजी के जाने के बाद हम अकेले हो गये हैं और हमारा कोई नहीं हैं. गांव वालों की मदद से हमारी कुछ मदद हो जा रही है. वरना हम लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है.
ऐसे हुई अरविंद की मौत
बांका जिले के बेलहर निवासी अरविंद कुमार साह मजदूरी करता था. कान के परदा खराब हो जाने से उसे दोनों कानों से कम सुनायी पड़ता था. भागलपुर मेडिकल कॉलेज में उसे कम खराब दायें कान के ऑपरेशन के लिए 13 मई को भरती किया गया. 21 मई को उसे ऑपरेशन कक्ष में सुन्न करने के लिए लिग्नोकेन एचसीएल एड्रेलेनिन का इंजेक्शन दिया. उसकी पत्नी सविता देवी ने बताया कि इंजेक्शन देने के 10 मिनट बाद तक वह तड़पा और उसके बाद उसकी मौत हो गयी. विभागीय सूत्रों के मुताबिक कान सुन्न करने को जो लोकल एनेसथेसिया लिग्नोकेन एचसीएल एड्रेलेनिन इस्तेमाल किया था. उसमें एड्रेलेनिन की मात्र से बहुत अधिक थी. एड्रेलेनिन सुन्न करने की दवा लिग्नोकैन को त्वचा में देर तक रोकने में काम आती है, लेकिन अत्याधिक मात्र खतरनाक हो सकती है. जांच टीम ने एड्रेलेनिन की मात्र प्रथमदृष्टया में मौत का कारण माना गया था, लेकिन मौत इसी से हुई है यह अभी पुष्ट नहीं हो पाया है.
क्या ऐसे ही उठा कर दे दिया जाता है पैसा?
क्या सहायता चाहिए, कुछ बताओगे. ऐसे ही किसी को उठा कर पैसा दिया जाता है क्या? कोई काम है या कोई जरूरत है, तब न किसी की मदद की जाती है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कुछ ऐसे ही जनता दरबार में आये एक फरियादी पर सवालों की झड़ी लगा दी. मुख्यमंत्री शारीरिक रूप से अक्षम शिकायतकर्ताओं से बात कर रहे थे. बक्सर के रघुनाथपुर से आये ढोलकी चौधरी की दोनों आंखों की रोशनी चली गयी है. उनका कहना है कि चेकअप कराने पर पता चला कि टीबी की गलत दवा खाने की वजह से उनकी आंख की रोशनी गयी है. उन्होंने शंकर नेत्रलय, चेन्नई में दिखाया, जहां 1.12 लाख का खर्च होने की बात कही गयी है, लेकिन अब उसके पास चेकअप कराने के भी पैसे नहीं हैं. मुख्यमंत्री ने पीएमसीएच में उसका मुफ्त में चेकअप कराने का निर्देश दिया.
बच्चों की गयी आंख की रोशनी
विलक्षण प्रतिभा के धनी प्रत्युष कुमार जहानाबाद के मखदुमपुर का रहनेवाला है. उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली है. अक्तूबर, 2009 में उसकी दायी आंख की रोशनी शंकर नेत्रलय में इलाज के बाद लौटी थी, लेकिन इस साल अगस्त से उस आंख से नहीं दिख रहा है. मुख्यमंत्री आर्थिक रूप से मदद करें, तो वहां जाकर इलाज हो सकता है. इस पर मुख्यमंत्री ने इलाज का एस्टिमेट मांगा है. प्रत्युष आनेवाले और बीते सालों का किसी भी महीने की तारीख का दिन बता सकता है.
23 बार आ चुके हैंबिहार में नि:शक्ततता आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर डॉ सुनील कुमार सिंह 23 बार मुख्यमंत्री के जनता दरबार में आ चुके हैं. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार इस पद पर दो बार डेट निकालने के बाद भी नियुक्ति नहीं कर रही है. जबकि ओडिशा, पांडिचेरी व यूपी में यह पहले से हैं. इस पर मुख्यमंत्री ने तत्काल अधिकारियों को इस पर देखने का निर्देश दिया. इसके बाद अधिकारियों सीएम को बताया कि मामला हाइकोर्ट में है, इसलिए इसमें विलंब हो रहा है.
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