शहरी क्षेत्रों में रहनेवाले दिहाड़ी मजदूरों, मोची, ठेला-खोमचेवालों समेत हर स्तर के श्रमिकों का बैंक एकाउंट खोला जायेगा. इन बैंक एकाउंट पर इन्हें सीमित राशि तक लोन लेने की भी सुविधा मिलेगी. ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय (डीएफआइडी यानी डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) की तरफ से प्रायोजित ‘निर्धनतम राज्य समावेशी कार्यक्रम’ में बिहार को भी शामिल […]
शहरी क्षेत्रों में रहनेवाले दिहाड़ी मजदूरों, मोची, ठेला-खोमचेवालों समेत हर स्तर के श्रमिकों का बैंक एकाउंट खोला जायेगा. इन बैंक एकाउंट पर इन्हें सीमित राशि तक लोन लेने की भी सुविधा मिलेगी. ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय (डीएफआइडी यानी डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) की तरफ से प्रायोजित ‘निर्धनतम राज्य समावेशी कार्यक्रम’ में बिहार को भी शामिल किया गया है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत शहरी क्षेत्रवित्तीय समावेश (यूएफआइ) नामक यह खास योजना इस महीने से राज्य में शुरू होने जा रही है. देश में इस कार्यक्रम को संचालितकरने की जिम्मेवारी सिडबी (भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक) की है. राज्य में वित्त विभाग इस योजना की देख-रेख कर रहा है.
यह योजना वर्तमान में चल रही प्रधानमंत्री जन-धन योजना से बिल्कुल अलग होगी. तीन साल की यूएफआइ योजना पर एक करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. हालांकि, डीएफआइडी ने निर्धनतम राज्य समावेशी कार्यक्रम के तहत चार राज्यों
बिहार, ओड़िशा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रमों के लिए 650 करोड़ रुपये दिये हैं. राज्य में अप्रवासी मजदूरों की सही संख्या के बारे में कोई जानकारी सरकार के पास नहीं है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक इनकी संख्या करीब 30 फीसदी हैं.खाते से श्रमिक 10 से 50 हजार तक का ले सकते हैं कजर्
खास
यूएफआइ को राज्य के 10जिलों में इस महीने में लागू करदिया जायेगा. 14 नवंबर से इसयोजना के शुरू होने कीसंभावना व्यक्त की जा रही है.एके बाटिया चेयरमैन,ग्रामीण बैंकइस योजना को सुचारु ढंग से संचालितकरने के लिए हर तरह से वित्तीय सहायतादी जा रही है. ज्यादा से ज्यादा असंगठितक्षेत्र के श्रमिकों को इससे जोड़कर उन्हेंआर्थिक रूप से सशक्त बनाने का लक्ष्य है.सोनमनी चौधरी राज्य निदेशक, पीएसआइजी
जन-धन योजनासे ऐसे हैं अलग
प्रधानमंत्री जन-धन योजना सेइसका कोई लेना-देना नहीं है यूएफआइ योजना खासतौर सेबिहार जैसे आर्थिक रूप सेबेहद पिछड़े राज्य के लिए हैयह मुख्य रूप से शहरी क्षेत्र मेंरहनेवाले श्रमिकों या असंगठितक्षेत्र के मजदूरों के लिए हैछोटा-मोटा रोजगार यामजदूरी करनेवाले ही इससेजुड़ेंगे, कर्ज भी ले सकते हैं
डीएफआइडी की ओर सेप्रायोजित है यह कार्यक्रमकम-से-कम या बिनाकागजात के खुलेंगे बैंकएकाउंटतीन सालों में एक लाखश्रमिकों का बैंक खाताखोलने का लक्ष्यमध्य बिहार ग्रामीण बैंकके जरिये इस योजना काहोगा संचालन बिना केवाइसी केखुलेगा खाताइस योजना में शामिल श्रमिकोंका खाता मध्य बिहार ग्रामीणबैंक (एमबीजीबी) के माध्यम सेखोला जायेगा. खाता खोलने केलिए केवाइसी (जरूरीकागजात) की कम-से-कमजरूरत पड़ेगी. वोटर आइकार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्डजैसे किसी एक कागजात केआधार पर भी खाता खुलवासकते हैं. अगर ये कागजातनहीं हैं, तो संबंधित वार्ड पार्षद से
लिखवा कर या स्वयं के लिखेघोषणा-पत्र के आधार पर भीखाता खुलवा सकते हैं.केवाइसी के आधार पर खोलेखाता पर 50 हजार और बिनाकेवाइसी के आधार पर खुलेएकाउंट पर 10 हजार तक काकर्ज ले सकते हैं.