पटना. राज्य सरकार अब आधारभूत संरचना और विकास परियोजनाओं के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण नहीं करेगी, बल्कि उसे लीज पर लेगी. इसके लिए गांवों में जमीन की सरकारी दर की चार गुनी और शहरों में दो गुनी राशि दी जायेगी.
बुधवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में रैयतों से लीज पर भूमि प्राप्त करने की नयी नीति को मंजूरी दी गयी. रैयतों से लीज पर जमीन लेने और सरकार द्वारा भूमि अधिगृहीत किये जाने में अंतर यह होगा कि अधिगृहीत की गयी भूमि का इस्तेमाल सरकार अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी रूप में कर सकती है, लेकिन लीज पर ली गयी जमीन को जिस उद्देश्य के लिए लिया जायेगा, केवल उसी कार्य के लिए उसका इस्तेमाल किया जा सकेगा.
कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्र ने कैबिनेट की बैठक के बाद बताया कि बैठक में कुल 27 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गयी. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा लीज पर प्राप्त करने की यह प्रक्रिया सतत लीज की होगी. इसके तहत लीज पर प्राप्त की जानेवाली जमीन के लिए दो तरह की दरें निर्धारित करने का प्रावधान है. इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन की एमवीआर की चार गुना राशि तथा शहरी क्षेत्रों में एमवीआर की दो गुनी राशि का भुगतान किया जायेगा.
बैठक में राज्य सरकार द्वारा सड़कों के दोनों किनारों और नहरों के दोनों तटों की भूमि को सुरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने के मामले में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गयी है. श्री मेहरोत्र ने बताया कि ऐसे सुरक्षित वन क्षेत्र की भूमि बंजर है या नहीं इसकी जांच मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी.
पहले यह था प्रावधान
पूर्व में राज्य कैबिनेट ने दीघा में जमीन मालिकों से पहले दो कट्ठे के लिए 25 प्रतिशत, दो कट्ठा से तीन कट्ठा जमीन वालों से 50 प्रतिशत, तीन से पांच कट्ठा जमीन के मालिकों से 75 प्रतिशत और पांच कट्ठे से अधिक के जमीन के प्लॉट मालिकों से सौ प्रतिशत की दर से बंदोबस्ती शुल्क वसूलने का प्रावधान किया था.