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प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण ने जारी किया आदेश जदयू ने बागियों को निकाला

पटना: विधानसभा की सदस्यता खत्म होने के एक दिन बाद रविवार को जदयू ने चारों बागी ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज कुमार सिंह, राहुल शर्मा और रवींद्र राय को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने रविवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता रद्द करने का आदेश जारी कर दिया. प्रदेश अध्यक्ष […]

पटना: विधानसभा की सदस्यता खत्म होने के एक दिन बाद रविवार को जदयू ने चारों बागी ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज कुमार सिंह, राहुल शर्मा और रवींद्र राय को पार्टी से निष्कासित कर दिया है.

प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने रविवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता रद्द करने का आदेश जारी कर दिया. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि चारों बागियों की विधानसभा सदस्यता स्पीकर द्वारा खत्म करने के आलोक में पार्टी ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता से मुक्त कर दिया है. साथ ही दल से निष्कासित कर दिया गया है. पहले विधायकी, फिर पार्टी से निष्कासन के बाद बागियों के तेवर कड़े हो गये हैं. सभी ने प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह समेत पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जम कर निशाना साधा.

पटना हाइकोर्ट में आज याचिका दायर करेंगे बागी

पटना. बिहार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के फैसले के खिलाफ जदयू के चार बागी सोमवार को हाइकोर्ट में याचिका दायर करेंगे. शनिवार को ही जदयू के चार बागी विधायकों की सदस्यता स्पीकर ने समाप्त कर दी थी. साथ ही पूर्व विधायक के रूप में मिलने वाली सारी सुविधाओं को भी नहीं देने का आदेश सुनाया था. ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज कुमार सिंह, राहुल शर्मा व रवींद्र राय विधानसभा सदस्यता खत्म करने के फैसले और पूर्व विधायकों की मिलने वाली सुविधा पर रोक के खिलाफ याचिका दायर करेंगे. रविवार को दिन भर ज्ञानू, नीरज व रवींद्र राय याचिका दायर करने के तथ्य जुटाते रहे और देर शाम अपने वकील शशिभूषण कुमार मंगलम के साथ भी विचार-विमर्श किया. ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि सोमवार को चारों बागी नेता पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर करेंगे. जिस आरोप में उनकी विधानसभा की सदस्यता गयी है, उसमें इतनी कड़ी सजा का प्रावधान नहीं है. 10वीं अनुसूची के पैरा 2 (1) (क) तहत कार्रवाई की गयी है, लेकिन जो आरोप है उसमें यह नियम लागू नहीं होता है. ज्ञानू ने बताया कि बिहार में इससे पहले 1992 में राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद् चुनाव में क्रास वोटिंग हो चुकी थी. डा. जगन्नाथ मिश्र ने पार्टी प्रत्याशी अहिल्या देवी के खिलाफ अहलुवालिया के पक्ष में वोट डाला था और उन्हें जिताया था. वहीं, विधान परिषद के चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ सत्यदेव सिंह को क्रास वोटिंग कर जिताया गया था. इन दोनों मामलों की शिकायत विधानसभा व विधानपरिषद में की गयी थी, लेकिन स्पीकर व सभापति ने दोनों को ही खारिज कर दिया था. ऐसे में उन लोगों पर कार्रवाई न्यायोचित नहीं है. वहीं रवींद्र राय व नीरज कुमार सिंह ने कहा कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष के गलत फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे और उसे चुनौती देंगे.

हम कोर्ट के निर्णय का चैलेंज नहीं करेंगे : सीएम

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि जदयू के बागी की सदस्यता का निर्णय कोर्ट का है. इसे हम चैलेंज नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि स्पीकर कोर्ट के निर्णय पर हमें कुछ नहीं कहना है. उन्होंने कहा कि बागी विधायकों की मरजी होगी तो वे आगे की कोर्ट जायेंगे. इस टर्म के लिए वे विधायक हैं इसलिए इस टर्म में पूर्व विधायक की सुविधाओं से उन्हें वंचित करना चाहिए. पिछले टर्म में रहे विधायकों को सुविधाओं से वंचित नहीं करना चाहिए.

सीएम जीतन राम मांझी को बागियों का ऑफर

पटना. जदयू से निष्कासित बागी ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को ऑफर दिया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अगर नीतीश कुमार के साथ रिश्ता तोड़ते हैं तो जदयू के सभी बागी उनके साथ हैं. जदयू के फिलहाल करीब 50 विधायक ऐसे हैं जिनकी आस्था नीतीश कुमार की जगह जीतन राम मांझी में है. सभी जीतन राम मांझी को ही मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. ज्ञानू ने कहा कि जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की साजिश चल रही है. मांझी जी को इस्तीफा दिलवा कर नीतीश खुद मुख्यमंत्री बनना चाह रहे हैं. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव पर भी मुख्यमंत्री से इस्तीफा लेने का दबाव बनाया गया. राज्य सरकार के एक मंत्री को आगे कर शरद यादव से मांझी को हटाने और नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की वकालत करायी गयी. ज्ञानू ने कहा कि मांझी सरकार को अल्पमत में करने की कोशिश हो रही है.

यस मैन वशिष्ठ : ज्ञानू

जदयू से निष्कासित ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह का बयान में ही विरोधाभास है. कभी कहते हैं कि हमने स्वत: दल का परित्याग कर दिया और अब पार्टी से निष्कासित कर दिया. जब हमने दल का परित्याग ही नहीं किया तभी तो निष्कासन की नौबत आयी. पहले क्यों नहीं पार्टी से निकाला था? निलंबित तक नहीं किया गया था. ज्ञानू ने कहा कि वशिष्ठ नीतीश के यस मैन हैं और सेवक के रूप में काम कर रहे हैं. नीतीश जो भी आदेश देते हैं, प्रदेश अध्यक्ष उसका पालन करते हैं. सब कुछ नीतीश कुमार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि विधानसभा अध्यक्ष ने कर दिया.

केवल मुखौटा : नीरज

जदयू से निष्कासित नीरज कुमार सिंह ने कहा कि नीतीशा वशिष्ठ नारायण सिंह को मुखौटा व मोहरा के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. वशिष्ठ को हम अभिभावक मानते हैं, लेकिन वो किसी का भला नहीं कर सकते हैं. उनकी समाज में विशेष पहचान नहीं है. दल में उनकी स्थिति ही हास्यास्पद है. एक जाति विशेष को बहलाने-फुसलाने के लिए उनको प्रदेश अध्यक्ष बना कर रखा गया है. उन्होंने कहा कि जब बिहार विधानसभा कोर्ट में उन पर कार्रवाई चल रही थी उसी समय उन्होंने मान लिया था कि वे उन्हें पार्टी में नहीं रखा जायेगा. हुआ भी यही और पार्टी से निकाल दिया गया. अब जनता के बीच जा कर जदयू व नीतीश कुमार की असलियत को उजागर किया जायेगा. नीरज कुमार सिंह ने कहा कि जदयू कब्रिस्तान के रास्ते पर है. पार्टी का वजूद ही खतरे में पड़ गया है. जब से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का जदयू ने साथ लिया है तब से पार्टी नीचे ही जा रही है.

सिर्फ रबर स्टांप:रवींद्र

जदयू के निष्कासित रवींद्र राय ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह पार्टी के डमी हैं. उन्हें नीतीश एक रबर स्टांप के रूप में प्रयोग कर रहे हैं. अगर प्रदेश अध्यक्ष में इतनी ताकत होती तो वे पहले ही निष्कासित कर सकते थे. जदयू में अहंकारी नीतीश कुमार का राज है. जदयू अलोकतांत्रिक पार्टी बन कर रह गयी है. नीतीश जदयू को स्वजाति की पार्टी बनाना चाह रहे हैं. उन्होंने सभी जातियों को हक मार कर सिर्फ अपनी जाति के लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं. जदयू में ना तो राष्ट्रीय अध्यक्ष ना ही प्रदेश अध्यक्ष की चलती है. नीतीश जैसा उन्हें कहते हैं वो करते हैं. इसी का विरोध उन्होंने किया था, जिसकी सजा उन्हें व उनके साथियों को दी गयी. रवींद्र राय ने कहा कि वे जनता की अदालत में जाने को तैयार हैं.

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